आगामी ७ फरवरी को दिल्ली में नई सरकार के गठन के लिए पड़ने वाला मतदान देश के राजनीत को नई दिशा देने वाला है। ये चुनाव जहाँ एक तरफ " मोदी टीम "के लिए अग्निपरीक्षा है वही दूसरी तरफ अन्ना आन्दोलन से अस्तित्व में आई "आप पार्टी " के लिए उसका भविष्य तय करेगा। देश में मुख्य तौर पर विपक्ष की भूमिका निभा रही पार्टी इस चुनाव से जँहा मोदी के विजयरथ को रुकते हुए देखना चाह रही है वही तीसरे मोर्चा के कुछ क्षेत्रिय दल मोदी विजयरथ को रोककर अपना भविष्य मजबूत करने के उम्मीद लगाये हुए है।
आगामी १० फरवरी को आने वाला चुनाव परिणाम जंहा मोदी, बीजेपी व संघ के लिए आगामी २ सालो में विभिन्न राज्यों में होने वाले चुनाव में विजयपताका फहराने के लिए आवश्यक है वही कांग्रेस के नेताओ के लिए बीजेपी की हार उनको मोदी सरकार के विरोध में मुखर होने में सहायक होगा जबकि दिल्ली के चुनाव में कांग्रेस लड़ाई में ही नहीं है यही कारण है की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दिक्षित जी ने चुनावी रणनीत के तहत चुनाव पूर्व ही प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आप पार्टी को समर्थन करने की घोषणा कर दी जिससे की मुस्लिम समुदाय अपना वोट व्यर्थ ना कर विजयी हो रहे आप पार्टी के उम्मीदवार को वोट कर दे और इसी रणनीत के तहत ओवैसी ने अपने उम्मीदवार ही नहीं खड़े किये जबकि हाल ही में हुए महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाओ में इनके ३ उम्मीद्वार विजयी हुए थे। लालू - नितीश ने जंहा चुनाव से महीने भर पहले दिल्ली में सयुंक्त सम्मलेन कर एक मंच पे आने की घोषणा की वंही दिल्ली चुनाव में पार्टी उम्मीदवार उतारने से दूर रहे केवल इस वजह से की आप पार्टी का वोट ना बटे और बीजेपी की हार सुनिश्चित हो।
विपक्षियो के रणनीत को भांपते हुए बीजेपी ने भी पार्टी मुख्यमंत्री पद के कमजोर उम्मीदवार की कमी को दूर करते हुए चुनाव घोषणा के ३ दिन पहले ही पूर्व पुलिस अधिकारी किरण बेदी को पार्टी की सदस्यता दिला विपक्ष जनता व् आप पार्टी को सत्ता में ना लौटने का संदेश दिए साथ ही बेदी जी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीद्वार घोषित कर पार्टी के कार्यकर्ताओ को हर हाल में दिल्ली में सरकार बनाने का संदेश दे दिया। दिल्ली के चुनाव में असली राजनीत की शुरूवात यही से होती है। एक तरफ जँहा बीजेपी द्धार बेदी को मुख्यमंत्री पद का उम्मीद्वार घोषित करना दिल्ली बीजेपी के ही कुछ पुराने नेताओ को सही नहीं लगा वही पार्टी के अंदर लोकसभा चुनाव से खार खाए कुछ राष्ट्रीय नेता भी मोदी और अमित शाह जी को उनकी हैशियत का अहशास करने की चुप चाप तरीके से पुरजोर कोशिश कर रहे है ऐसे में बीजेपी पार्टी अध्यक्ष व् मोदी जी के संकटहरण के लिए दिल्ली में सरकार बनाना उनकी काबिलियत सिद्ध करना है।
बेदी को चुनावी चेहरा बनाने से जँहा बीजेपी को चुनाव में महिलाओ व् युवाओ को रुझान में सफलता मिली और चुनाव में जीत की उम्मीद बढ़ गयी वही आप पार्टी व् अन्य विपक्षी पार्टियो ने बेदी पर "अवसरवादी राजनीत" का ठप्पा लगा बीजेपी के डैमेज कंट्रोल को कम करने का प्रयाश किया। अब यहीसे शुरू हुआ राजनीत का नीचतम प्रयोग आरोप प्रत्यरोप का शिलशिला जो से शुरू हुआ उससे दोनों पार्टियो की असलियत सामने आने लगी कँही आप के कार्यकर्ता के यँहा शराब की बोरियां पकड़ी जाने लगी तो कँही बीजेपी उम्मीद्वार द्वारा झुग्गी झोपड़ियों में पैसा बाटने का प्रमाण इसी बीच दिल्ली में पूर्व सत्ताधारी पार्टी ने चुप रहते हुए अपना काम दिखाया और बसन्तकुंज इलाके के एक चर्च पे हमला करा बीजेपी व् संघ को शक के घेरे में लाकर साम्प्रदायिक राजनीत करने का आरोप लगाया। अगले ही दिन बीजेपी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के चुनाव कार्यालय पर तोड़फोड़ करा माहौल को नया मोड़ देने की कोशिश से भी राजनीतिक बू आती है ये सिलशिला आगे बढ़ाते हुए आप पार्टी के ही एक अनुषांगिक संगठन " आवाम " ने आप पार्टी पर दो करोड़ रुपये काले धनराशि का पार्टी फण्ड में आने का विवरण पेश कर देती है और शाजिया इल्मी व् बिन्नी जैसी आप पार्टी की पूर्व नेता ही केजरीवाल को कटघरे में खड़े करना शुरू कर दिये जो बीजेपी को सत्ता में आने की राह आसान कर दिए लेकिन दिल्ली के कमजोर वर्ग के वोटर यानी झुग्गी झोपड़ी फुटपात पे रहने वाले ठेलेवाले रिक्शाचालक सरकारी तंत्र से त्रस्त होकर केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाना चाहती है यही आप पार्टी की सबसे बड़ी मजबूती है जो की बसपा के वोट बैंक की तरह कँही और वोट नहीं करेगी ऐसे में बीजेपी के लिए राह आसान तो नहीं है लेकिन एक बात तय है इस बार दिल्ली की जनता पूर्ण बहुमत की सरकार बनाना चाहती है ऐसे में ७ फरवरी के दिन वोट पड़ने का रुझान जिस पार्टी के पक्ष में सुबह ज्यादा होगा शाम होते होते जनता उसी के पक्ष में एकतरफा वोटिंग भी कर सकती है जिससे पूर्ण बहुमत की सरकार बनाना सुनिश्चित हो जाये क्योंकि दिल्ली जैसे राज्य में जँहा पढ़े लिखी व् व्यापारी मतदाता ज्यादा है वे बार बार चुनाव नहीं देखना चाहते।
कुछ बुद्धिजीवी व् समझदार लोगो का ये भी कहना है की मोदी सरकार को अलर्ट करने और देश में एक तीसरा विकल्प खड़ा करने के लिए आप पार्टी को एक बार जीता देना चाहिए जिससे "मोदी सरकार" शतर्क हो जाये और बोल वचन बंदकर लोकसभा चुनाव में जनता को किये वादे को पूरा करने में ध्यान लगाये। ऐसे में देखना है की जनता क्या करती है आप पार्टी को जीता कर केजरीवाल का भविष्य मजबूतकर देश को एक "तीसरा विकल्प" देती है या बीजेपी के विजयरथ को आगे बढ़ाते हुए आनेवाले दिनों में देश के अन्य राज्यों में कमल के फूल खिलने का राह प्रसस्त करते हुए मोदी सरकार के पिछले ८ महीनो में किये कार्य को प्रमाणित करती है।
परिणाम जो भी हो ये चुनाव देश की आगामी राजनीतिक दिशा तय करेगी कुछ लोगो का भविष्य सुरक्षित होगा और कुछ लोगो को सीख मिलेगी।
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कुछ बुद्धिजीवी व् समझदार लोगो का ये भी कहना है की मोदी सरकार को अलर्ट करने और देश में एक तीसरा विकल्प खड़ा करने के लिए आप पार्टी को एक बार जीता देना चाहिए जिससे "मोदी सरकार" शतर्क हो जाये और बोल वचन बंदकर लोकसभा चुनाव में जनता को किये वादे को पूरा करने में ध्यान लगाये। ऐसे में देखना है की जनता क्या करती है आप पार्टी को जीता कर केजरीवाल का भविष्य मजबूतकर देश को एक "तीसरा विकल्प" देती है या बीजेपी के विजयरथ को आगे बढ़ाते हुए आनेवाले दिनों में देश के अन्य राज्यों में कमल के फूल खिलने का राह प्रसस्त करते हुए मोदी सरकार के पिछले ८ महीनो में किये कार्य को प्रमाणित करती है।
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