Wednesday, 20 January 2016

अच्छे भविष्य के लिए युवाओ को जातिगत राजनीत से बहार निकल एकत्रित होना होगा !

आजादी के ६९ वर्ष बाद भी हमारा देश धीमीगति से विकास कर रहा उसके पीछे मुख्य कारणो मे से एक कारण जातिगत राजनीतिक अवधारणा है जिसको आरक्षण के लौ ने और मजबूत ही किया है। आज जबकि देश में युवाओ की जनसँख्या विश्व में सबसे अधिक ३५६ मिलियन केवल १०-२४ वर्ष के युवाओ की है और पढ़े लिखे लोगो की जनसंख्या ७० % से अधिक है जो आजादी के समय ४० % भी कम हुआ करती थी ऐसे में यदि एक २२ वर्षीय दलित शोध छात्र आत्मा हत्या करता है  तो ये निसंदेह एक बड़ी सोच व चर्चा का विषय है ऐसी घटनाओ और आंदोलनो के पीछे कौन है ? इसको भी समझाना जरुरी है, नहीं तो देश का युवा शक्ति जो समाज को नई दिशा दे सकता है वो भटक जायेगा और देश गृह युद्ध की स्थिति मे पहुँच जायेगा।
आज जो हमारी आर्थिक विकाश दर विश्व मे तीसरी पायदान पर है उस पर देश का हर युवा गौरवान्वित महसूस कर रहा है और देश को विश्व शक्ति के रूप में देखने के लिए हर संभव योगदान देने को तैयार है। आज जंहा देश मे युवाओ द्वारा स्थापित और संचालित ४४०० संस्थाए देश मे दस लाख से अधिक लोगो को रोजगार मुहैया करा रहे है जो कि अमेरिका व् ब्रिटेन के बाद तीसरे स्थान पर है तथा स्वस्थ प्रतिस्पर्धा के साथ आने वाले सालो मे करोडो लोगो को रोजगार मुहैया कराते हुए देश को विश्वशक्ति बनाने मे आगे बढ़ने को तैयार है, ऐसे मे कुछ स्वहित से स्थापित संस्थाए व संगठन युवाओ को भ्रमित कर, उनकी एकता को विखंडित कर देश मे गृह युद्ध जैसी स्थिति पैदा कर सकते है जो वे अपने स्वहित के सामने या तो समझ नहीं पा रहे या इतना आगे बढ़ चुके है की अब उनके पास ये समझने का विकल्प ही नहीं है ऐसे में सरकार को आगे बढ़कर ऐसे संस्थाओ को  चिंहित कर दिशा देने की जरुरत है।

आज जब हमारे देश की युवा पीढ़ी जागरूक है ऐसे मे विश्वविद्यालय व अन्य सभी शैक्षणिक संस्थाओ को छात्र राजनीत से मुक्त कर, नकारात्मक विचार से संचालित गैर सरकारी संस्थाओ व् संगठनो को शैक्षणिक परिसर मे प्रतिबंधित करना समय की आवश्यकता है क्यों कि छात्रों मे अब नेतृत्व की क्षमता विकसित करने के कई अन्य माध्यम भी प्रचलित हो रहे है जो उनमे सकारत्मक भाव को विकसित कर रहे है जैसे की - "युथ पार्लियामेंट" के तहत सदनीय कार्यवाही का अनुभव कराना, "युथ कांग्रेस" के तहत गंभीर मुद्दो पर चर्चा से समाधान निकालना व युवाओ के विचार और रचनात्मकता को समझाना, "युथ समिट" के माध्यम उनके द्वारा किये जा रहे कार्यो को प्रोत्साहन देकर विभिन्न समस्याओं पर उनसे ही वार्षिक प्रोग्राम तैयार करवाकर उनकी ऊर्जा व रचनात्मकता को उपयोग में लाना, इससे उनमे आत्मविश्वास की वृद्धि होगी व् उनको प्रोत्साहन मिलेगा, न की उनको छात्र जीवन में ही राजनीत मे झोककर उनके अंदर जाति -धर्म -सम्प्रदाय- आरक्षण जैसी नकारात्मक भाव को बढ़ावा देना।

युवाओ को ये सोचनाहोगा की आखिर हमारा देश आज भी पीछे क्यों है ? जब कि हमारे साथ आजाद अन्य देश विकसित देश की श्रेणी मे शामिल है।  उसके पीछे मुख्य कारण, देश के कुछ नेताओ ने अपने फायदे के लिए देश की जनता को "जाति -धर्म- आरक्षण" के जाल मे भ्रमित कर रखा है, जिसे, आज देश के युवाओ को समझाना होगा और ऐसी भावनाओ व नेताओ के चाल से बाहर निकलकर, देश के विकास व राष्ट्रहित मे सोचना होगा तभी हमारा और देश का भविष्य सुरक्षित हो पायेगा। हम युवाओ को ये सोचना होगा की, हम देश को विश्वशक्ति बनाने मे क्या योगदान दे सकते है अपनी ऊर्जा को उसमे लगाना चाहिए, न की जाति धर्म व आरक्षण के भाव को भड़काने वाले संगठनो के बहकावे में आकर अपनी ऊर्जा का दुरूप्रयोग क्योंकि जैसे जैसे समाज शिक्षित व विकसित हो रहा है वैसे वैसे ये जाति धर्म की बाते गौड़ हो रही है, ऐसे में आने वाली पीढ़ी इन मुद्दो पर साथ नहीं देगी इस लिए जो युवा भ्रम में आकर ऐसे मुद्दो पर अपना राजनैतिक भविष्य भी देख रहे है वो बेवकूफ है जैसे की #रोहितवुमेला जो अपने अंतर्मन को भी नही पहचान पाया और अंत मे कुछ जाति धर्म के ठेकेदारो के जाल मे फस कर अपनी जीवन लीला खुद ही समाप्त कर लिया उनका क्या गया जिन लोगो ने उसे बरगलाया था कुछ भी नही बल्कि उनको तो अपनी राजनीति चमकाने और दलितों का मशीहा बनने का एक और मौका दे गया वो । इसलिए नवजवानों पहचानो अपने मन को की तुम्हारा मन क्या कहता है बहकावे में मत आओ।

देश मे कोई दूसरा #रोहितवुमेला  न बन पाये, इस लिए युवाओ तुम जाति धर्म व आरक्षण के भ्रम से बाहर आओ एकत्रित हो और नकारात्मक भावनाओ को भड़काने वाले संगठनो व नेताओ को सीख दो की, हम एक है विखंडित नहीं होगे।  राष्ट्र का विकास व राष्ट्रहित हमारी प्राथमिकता है न कि घृणत राजनीत।
जय हिन्द जय भारत !!

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