आज कल सोशल मीडिया पर अनंत अंबानी और राधिका के विवाह के चर्चे से भरा पड़ा है, हो भी क्यों न भारत के सबसे अमीर व्यक्ति के लड़के का विवाह हुआ है जो कई महीनों तक चला मेरी जानकारी में तो पूरे विश्व में अब तक किसी परिवार ने इस तरह इतने लंबे समय तक चलने वाले विवाह कार्यक्रम का आयोजन अंबानी परिवार से पहले तो नही ही किया था .........
विश्व का कोई जाना माना व्यक्ति नहीं बचा जो अनंत राधिका की शादी का हिस्सा न बना हो, देश का कोई भी ऐसा राजनीतिक परिवार, खिलाड़ी, व्यापारी, फिल्मी कलाकार या साधु संत नहीं बचा जो अंबानी परिवार के इस भव्य कार्यक्रम में न शामिल हुआ हो जो लोग इतने भव्य कार्यक्रम का हिस्सा बने वे अपने को सौभाग्यशाली समझ रहे है और जो किसी वजह से नहीं शामिल हो पाए वो स्वयं का अपमान समझ रहें होंगे, पता चला की आज के सबसे युवा संत हनुमान जी के उपासक बागेश्वर बाबा ऑस्ट्रेलिया में कथा करने गए थे उन्हें मुकेश और नीता अंबानी जी ने व्यक्तिगत चार्टर प्लेन भेजकर बुलाया अनंत राधिका को आर्शीवाद देने के लिए.........
विवाह कार्यक्रम में जो पैसे खर्च हुए उसकी चर्चा तो हर गली कूचे सड़क पर रिक्शा चलाने वाले से लेकर ठेले पर सब्जी बेचने वाले और चाय की दुकानों पर चल रही है, खेत में धान की रोपाई कर रही महिला हो या रसोई में रोटी बनाने वाली सब जगह आजकल एक यही चर्चा चल रही है मुकेश अंबानी के बेटे की शादी में बहुत खर्च हुए .........
ज्यादातर लोगों ने यह तो नोटिस कर लिया की जियो का रिचार्ज बढ़ाकर अंबानी ने शादी के खर्चे वसूल लिए लेकिन एयरटेल वोडाफोन ने भी उतना ही टैरिफ प्लान अपने उपभोक्ताओं का बढ़ा दिया यह बात किसी ने नोटिस नही किया, दुसरी ओर अंबानी परिवार ने इतने लंबे समय तक चले कार्यक्रम में हजारों करोड़ खर्च खरने के साथ साथ भारतीय संस्कृति परंपरा, खान पान और पहनावे से कोई समझौता नहीं किया ...... इस बात को बहुत ही कम लोगो ने समझने की कोशिश किया होगा .......
देश के सबसे प्रतिष्ठित परिवार के इस कार्यक्रम से आज के युवा पीढ़ी को सीखने के लिए जो सबसे बड़ी बात रही वह यह की अनन्त के बड़े भाई आकाश जो जियो के CEO है उनकी पत्नी श्लोका के संस्कार पहनावे और व्यवहार पूरे कार्यक्रम के दौरान एकदम सामान्य दिखाई दे रहे थे कोई दिखावा नहीं कोई बनावटीपन नही, श्लोका के दो बच्चे है बड़ा पृथ्वी जो चार साल का है लोगो का अभिवादन "जय श्री कृष्णा" बोलकर करता है यहां अपने आस पास के साधारण परिवार और सामान्य स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों के माता पिता Good Morning और Hello करने को सिखाते है यदि उनका बच्चा नमस्ते या प्रणाम कर ले तो अपनी बेज्जती समझते है ...... घर में सैकड़ों हेल्पर होने के बावजूद श्लोका अपने छोटे बच्चे को लगातार अपने गोद में ही लेकर नजर आ रही थी, सामान्य परिवारों में कोई महिला यदि पचास हजार की नौकरी कर रही हो या कोई सरकारी पद पर हो या उसका पति अच्छा व्यापार करता हो या अधिकारी हो तो एक पल भी वो अपने बच्चे को अपनी गोदी में नही उठाएगी, उनका ध्यान केवल लोगो को अपने महंगे कपड़े पर्स और मोबाइल दिखाने पर ही केंद्रित रहेगा ......... मैंने तो यहां तक देखा है कि कुछ अधिकारी गण की पत्नियां तो अपने बच्चों की हगिस भी सरकारी हेल्पर से साफ करवाती है क्यों कि उनको बदबू आती है।
अनंत की बहन ईशा अंबानी पीरामल ग्रुप ऑफ कंपनीज के मालिक अजय पीरामल की बहु और आनंद पीरामल की पत्नी है जो पीरामल रियल एस्टेट और पीरामल फाइनेंस के CEO है आनंद पीरामल पूरे कार्यक्रम के दौरान इतने साधारण और समान्य दिखाई दे रहे थे कोई दिखावा नहीं कोई तामझाम नही और हमारे छोटे शहरों में एक साधारण सरकारी अधिकारी, व्यापारी या नेता के बच्चे ऐसा शो करते है जैसे उनके शहर में उनसे बडा व ताकतवर कोई और है ही नही ......
मुकेश अंबानी के छोटे भाई अनिल अंबानी जो आजकल भले ही आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रहे है लेकिन फिर भी उनकी व्यक्तिगत हैसीयत हजार करोड़ से उपर ही होगी लेकिन इनके बड़े बेटे अनमोल अंबानी जो आजकल Reliance Caipital के CEO है लेकिन शादी में ऐसे शामिल हुए जैसे कोई साधारण परिवार का लड़का हो जब कि अनमोल अंबानी अपनी बौद्धिक क्षमता और चतुराई से अनिल अंबानी की डूबी हुई कंपनीज को अब सवार रहे है जिसके परिणाम स्वरूप रिलायंस कैपिटल और रिलायंस पॉवर अब मंदी से उबर रही है
मुझे तो लगता है अंबानी परिवार के इस विवाह समारोह से यदि कुछ सीखने लायक है तो वह है भारतीय संस्कार परंपरा का निर्वहन, मेहमानों व साधु संतो का सम्मान कैसे किया जाता है यह सीखना चाहिए क्यों की कोई व्यक्ति वास्त्विक अमीर दिखावे से नही संस्कारों से होता है परंपराओं के निर्वहन से होता है .......
इसका एक बडा उदाहरण यह देखिए हजारों विदेशों मेहमान शादी में शामिल हुए, पूरे कार्यक्रम के दौरान हजारों प्रकार के व्यंजन परोसे गए लेकिन मांसाहार और शराब को पूर्णरूप से वर्जित किया गया था.....
परिवार का प्रत्येक सदस्य भारतीय परिधानों को ही पहना था महिलाओं के पहनावे में शरीर के अंगो का कोई प्रदर्शन नहीं था यहां सामान्य शादियों में दिसंबर और जनवरी के महीनों में भी महिलाएं कम से कम और भडकीले परिधानों को ही धारण करना पसंद करती है जिससे लोगो को पता चले की वो बहुत मॉडर्न और अमीर परिवार से है नही तो लोग गवार समझेंगे ........
पूरे शादी कार्यक्रम में ज्यादातर मौके पर केवल धार्मिक और सभ्य शब्दों वाले गाने ही बज रहे थे फूहड़ गानों का प्रयोग न के बराबर ही सुनाई दिया..... हमारे आपके सामान्य परिवारों में जब तक "शीला की जवानी" अंगूरी बदन, जलेबी बाई.... जैसे फूहड़ से फूहड़ शब्दों वाले भोजपुरी गानों पर घर की महिलाएं समाज के पुरुषों के सामने सड़क पर डीजे वाले के साथ नाचेंगी नहीं तब तक उनको लगेगा की कही लोग उन्हें गवार न समझ ले........
मुकेश और नीता अंबानी ने अनंत राधिका के भव्य विवाह समारोह से पूरे भारतीय समाज को यह संदेश दिया है की चाहें आप कितने भी अमीर क्यों न हो जाएं अमीरी गरीबी से व्यवहार पर फर्क नहीं पढ़ना चाहिए, संस्कारों और परंपराओं का सम्मान सर्वोपरी होना चाहिए। दोनो ने देश को बताया की आप गरीब है या अमीर, आपके सोच और संस्कार की श्रेष्ठता आपके व्यवहार में दिखाई देना चाहिए क्यों कि अमीर व्यक्ति के सोच और संस्कार यदि नीच है तो वह भी व्यवहार में दिख जाता है इसी प्रकार गरीब व्यक्ती यदि उच्च सोच और संस्कार का है तो वह भी उसके भाषा और व्यवहार में दिख जाता है। मतलब यह अमीरी के साथ साथ ऊंची सोच और संस्कार भी उच्च होने चाहिए नही तो केवल ब्रांडेड पहनावे और लग्जरी गाड़ी दिखाने से कोई अमीर नही होता।
यदि कोई व्यक्ति वास्तव में किसी अमीर परिवार से है तो उसके सोच और संस्कार भी उच्च होने ही चाहिए लेकिन यह सब घर के आध्यात्मिक माहौल के बिना संभव नही है जिस घर परिवार का आध्यात्मिक माहौल और खान पान उच्च कोटि का होगा वहा संस्कार और सोच भी उच्च ही होंगे जो अंबानी परिवार ने देश को प्रमाणित रूप से दिखा दिया।
दुर्भाग्यवश आजकल तो ज्यादातर घरों का खान पान ही एकदम से बिगड़ गया है अच्छे अच्छे ब्राह्मण घरों के लड़के लड़कियां आजकल मांस मदिरा और शबाब के शौकीन हो गए है, नेटफ्लिक्स पर थर्ड कैटेगरी के फिल्म देखने में व्यस्त है तो अध्यात्म और संस्कार कहा से आएगा.......
अंबानी परिवार में शायद ही कोई शराब मांसाहार और शबाब का शौकिन होगा आध्यात्मिकता तो इतनी है की बिना भगवान को भोग लगाए घर में कोई भोजन भी नही ग्रहण करता है।
हमारे साधु संत और वेद पुराण भी यही कहते है जिस परिवार में भागवत प्रेम होगा वही वास्त्विक रूप में संस्कार बसेगा अन्यथा केवल दिखावा के सिवाय और कुछ नही।
अफसोस यह है की आज की दुनिया केवल दिखावे की दुनियां है जितना अधिक दिखवा उतना अधिक वाहवाही और सम्मान।