राम" केवल एक शब्द या नाम नही बल्कि समस्त सनातानियो और अखंड भारत के लिए एक श्रेष्ठ आदर्श व्यक्तित्व है जो भारतीय समाज व परिवार के लिए आदर्श जीवन की मर्यादाओं के शिक्षक है। परिवार व समाज के प्रत्येक रिश्तों को निभाने के उच्च संस्कार का श्रेष्ठ उदाहरण राम है। वर्तमान युग में श्रेष्ठ नाम जाप में राम नाम है जो मनुष्य का तारणहार है।
राम..! नाम का मानव जीवन में दो निहतार्थ हैं,
सुखी होना.. और स्थिर - शान्त हो जाना
अर्थात राम नाम में ही सुख है और आत्मज्ञान का साक्षात्कार भी राम नाम में ही है
जब व्यक्ति सांसारिक जीवन में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के देवत्व को अपनाने का प्रयास मात्र शुरु करता है तब अपने मार्ग से भटका हुआ तनाव से ग्रसित अशांत मन किसी शान्ति पूर्ण स्थान को देखकर ठहर जाता है जीवन के इस सुखद ठहराव को अर्थ देने वाले शब्दों में भी "राम" ही अंतर्निहित है....जैसे आराम.! विराम.! विश्राम.! अभिराम.! ग्राम.! प्रणाम ... ! अर्थात
जो "रमने" के लिए विवश कर दे वह "राम..! ही है
आजकल जीवन की भाग दौड़ में उलझा मन जिस आनंददायक गंतव्य की सतत तलाश में है वह गंतव्य भी राम.. नाम में ही निहित है।
राम नाम की महिमा इतनी है कि भारतीय सनातन संस्कृति में हर स्थिति में मनुष्य मन राम को साक्षी बनाने का आदी है जैसे दुःख और पीड़ा में " हे राम.! लज्जा में "हाय राम.! अशुभ स्थिति में "राम रे राम.! अभिवादन में जब दोनो हाथ जुड़ जाते है तब प्रणाम भी राम राम..! बन जाता है, यही शपथ के समय "राम कसम.! अज्ञानता में राम जाने.! अनिश्चितता में राम भरोसे..! अचूकता के लिए रामबाण इलाज..! मृत्यु के लिए "रामनाम सत्य...! वही सुशासन के लिए "रामराज्य...! और मनुष्य जीवन का अंतिम शब्द भी राम राम ... ही होता है जो जीवन की अन्तिम यात्रा में सद्गति का राह प्रशस्त करता है। महात्मा गांधी जी के अन्तिम शब्द "हे राम ... ही थे। रावण जैसा ज्ञानी पराक्रमी तपस्वी भी अंतिम समय में राम नाम लेने में देर नहीं किया उसको पता था राम के द्वारा और राम नाम से ही उसको मोक्ष प्राप्ति होगी।
भारतीय समाज में ऐसी अभिव्यक्तियाँ, दैनिक जीवन पथ में पग-पग पर राम को साथ खड़ा करतीं हैं और राम भी इतने सरल व सहज हैं की हर जगह अपने भक्तों के साथ खड़े हो जाते हैं। हर भारतीय उन पर अपना अधिकार मानता है उनको अपना मानता है जिसका कोई नहीं उन सबके लिए राम ही राम..! है।
राम नाम का इतना प्रभाव है की हजारों बार देखी सुनी पढ़ी जा चुकी रामकथा की रोचकता कभी खत्म ही नहीं होती अभी कोरोना काल के दौरान जब मोदी जी ने रामायण सीरियल का प्रसारण दिन में तीन बार विभिन्न चैनलों पर करवाया तो रामायण का प्रसारण देखने का लोगो में इतना उत्साह था कि तीन महीने तक जनता सभी कार्य छोड़कर अपने आदर्श पुरूषोत्तम राम के देवत्व रूप को देखने सुनने के लिए तन्मयता के साथ टीवी के सामने समय से बैठे जाती है और राम के द्वारा बोले गए एक एक संवाद व व्यवहार को समझने का प्रयास करता जो साधारण मनुष्य में देवत्व के विकाश की राह प्रशस्त करता है।
हमारे भीतर जो कुछ भी अच्छा है वह राम.....ही है।
राम केवल एक शब्द ही नहीं राम सत्य निष्ठा, धर्म कर्तव्य, शुद्ध आचरण, आस्था, नैतिक मूल्यों, स्वाभिमान और श्रेष्ठ जीवन दर्शन का नाम है। राम भारतीय सनातन संस्कृति की आत्मा है राम शाश्वत है राम शिवांश है राम तपस्वी है।
राम एक श्रेष्ठ व आज्ञाकारी पुत्र है राम त्याग व पुरुषार्थ का नाम है।
राम एक आदर्श भाई है राम दया क्षमा के प्रतिरूप है।
राम धर्मनिष्ठ राजा है राम अनादि है अनंत है!
राम नाम से ही जीवन के भ्रम भटकाव अंहकार मद मोह का अंत है।
राम सनातन आस्था के प्रतीक भारतीयों के आराध्य है।
जीवन में सब कुछ अंत हो जाने के बाद भी जो बचा रह जाता है वह भी राम ही है राम हमारी आत्मा है हम राम के है और राम हमारे है।
जब कोई व्यक्ति घोर निराशा से गुजरते हुए उठ खड़ा होता है तो वह आत्मबल भी राम ही है। अनन्त सीमाओं के बीच छुपे हुए गूढ़ को, जो समझ पाए वो भी राम ही है ..!
राम वह है जिसको ये पता है की जन्म का उद्देश्य क्या है और जो जीवन के धर्म पथ पर सुख का मोह नहीं रखता और दुख में किंचित विचलित नहीं होता है। राज्याभिषेक की खबर सुनकर बहुत खुश भी नही जाहिर करता और वनवास की ख़बर को बिना दुख के बिना किसी प्रतिक्रिया के स्वीकार कर लेता है।
इसीलिए राम मर्यादा पुरूष पुरूषोत्तम राम है ।।
जय श्री राम..🌹🙏