देश के यशश्वी प्रधानमंत्री की देवतुल्य माता हीराबेन मोदी जी की दिव्य आत्मा पंचतत्व से बने दैहिक जैविक शरीर में 100 वर्ष तक एक सशक्त महिला पत्नी और मां के रुप में समाज में एक मजबूत छवि स्थापित करने के पश्चात आज ब्रह्ममुहूर्त में गोलोक की यात्रा पर निकल गई जिनके मातृत्व प्रेम की चर्चा हम सब लोग जब से नरेन्द्र मोदी जी प्रधानमंत्री पद की शपथ लिए है तब अक्सर सुनते रहें है खास तौर पर जब मोदी जी अपने जन्मदिवस पर उनसे आशीर्वाद लेने जाते या माता जी के जन्मदिवस पर उनसे मिलने उनका कुशलक्षेम पूछने जाते......
जो भी हो मोदी जी ने पिछले आठ सालों में पूरे देश की युवा पीढ़ी और समस्त जनमानस को मातृत्व प्रेम आशीर्वाद व अस्तित्व का जो संस्कार देश के प्रधानमंत्री के रूप प्रेषित किया है वो निःसंदेह सराहनीय है और मैंने ऐसा महसूस किया है कि देश में मातृशक्ति के प्रति लोगो का दृष्टि पिछले कुछ वर्षों में बदला और सम्मान भी बढ़ा है। हीराबेन के सांसारिक जीवन के अंतिम यात्रा में एक प्रधानमंत्री के रुप में उनके अर्थी को कांधा देकर मोदी जी ने देश वासियों को अपने कर्तव्य निर्वहन का बहुत बड़ा संदेश दिया है।
वैसे तो सनातन संस्कृति में मातृत्व का बहुत आदर सत्कार और सम्मान एक जननी के रूप में वैदिक काल से ही बताया गया है लेकिन मोदी जी ने आज इक्कीसवीं सदी में मातृत्व के सम्मान में अपने व्यवहार से देश व समाज को जो सन्देश दिया है वह निःसंदेह प्रेरणादायक है।
मोदी के अनुसार हीराबेन ने अपने अंतिम मुलाकात में मोदी से "अपने कर्तव्यों को बौद्धिक क्षमता से और जीवन को शुद्धता से जीने का मंत्र दिया "
ईश्वर पुण्य आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान प्रदान करे।
ॐ शांति। ॐ शांति। ॐ शांति।।
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