देश के राजधानी क्षेत्र दिल्ली में विधान सभा चुनाव के लिए 5 फरवरी को मतदान होना है। आज 3 फरवरी को सभी प्रत्याशी अपने पक्ष में प्रचार अभियान को रोक मतदान कराने की तैयारी में जुट गए है।
पिछले लगभग 11 वर्षों से दिल्ली में आप पार्टी की सरकार है और अरविंद केजरीवाल जी 3 बार मुख्यमंत्री पद का शपथ ले चुके हैं लेकिन दिल्ली के मतदाता केजरीवाल जी के कथनी और करनी में अंतर से अब स्वयं को ठगा हुआ सा महसूस कर रहे हैं............
इसका सबसे बड़ा कारण है केजरीवाल जी ने जिन मुद्दों को आधार बनाकर आंदोलन किया जिस पर देश और दिल्ली की करोड़ों जनता ने इन पर विश्वास करके इनको मतदान किया उन मुद्दों पर इन्होंने कोई काम ही नहीं किया। दिल्ली में इनका सबसे बड़ा मुद्दा था दिल्ली के पूर्व सरकार के मंत्रियों के भ्रष्टाचार को उजागर कर उनको जेल भेजना, जमुना नदी की सफाई करवाकर उसे स्नान करने और पीने लायक बनाना और दिल्ली को स्वछ बनाकर विश्वस्तरीय शहर बनाना लेकिन पिछले दस सालों में इन तीनों मुख्य मुद्दों पर इन्होंने कोई कार्य ही नहीं किया और हमेशा हर समस्या को लेकर केंद्र सरकार, उपराज्यपाल और दिल्ली नगर निगम को दोषी ठहराने का काम करते रहे। जबकि पिछले तीन सालों से दिल्ली नगर निगम पर आप पार्टी का ही मुखिया है इसके बावजूद भी दिल्ली के सीवर लाइन की कोई सफाई नहीं हुई और बारिश के दिनों में दिल्ली में भारी जलजमाव हो जाता है। वर्तमान में तो ये स्थिती है कि लोगों को पीने के लिए स्वछ जल भी सही समय पर नहीं मिल पा रहा है...............
जनता को अब ऐसा महसूस होने लगा है की केजरीवाल जी ने फ्री बिजली और पानी के नाम पर केवल बेवकूफ बनाया। देश से भ्रष्टाचार खत्म करने के लिए केजरीवाल जी ने आप पार्टी बनाया, भ्रष्टाचारी व्यवस्था को देश से समाप्त करने के लिए देश में लोकपाल कानून बनाने के लिए जनता का विश्वास जीता चुनाव लड़े लेकिन स्वयं और अपने सहयोगी मंत्रीयो के साथ खुद भ्रष्टाचार के मामले में जेल यात्रा किए।
कोई सरकारी सुख सुविधा न लेने की कसमें खाए लेकिन स्वयं के लिए करोड़ों रुपए सरकारी धन खर्च करके महल बनवाया और Y श्रेणी की सुरक्षा व्यवस्था लेकर आम आदमी से खास आदमी बनकर जनता के बीच में दिल्ली के मुखिया कहलाने लगे।
जनता अब केजरीवाल के दोगले चरित्र को पहचान गई है जिसका परिणाम यह होगा की इस बार आप सरकार दिल्ली की सत्ता से बाहर हो जाएगी।
संभवतः बीजेपी इस बार दिल्ली में सरकार बना लेगी उसके कई कारण है ............
यदि हम दिल्ली की आधी आबादी यानी की महिला मतदाताओं की बात करे तो जो उच्च वर्ग की पढ़ी लिखी मतदाताएं है वे कजरीवाल जी के झूठी बातों और कर्मों को अच्छी तरह समझ चुकी है और मोदी जी के व्यक्तित्व से अधिक प्रभावित है तो उनका वोट इस बार केजरीवाल जी को मिलना नहीं है। कमजोर वर्ग और झुग्गी झोपड़ी में रहने वाली महिलाएं आप सरकार की शराब नीति से इतना दुखी है कि अपना घर बर्बाद होता देख कसम ले रखा है कि केजरीवाल को दिल्ली सरकार से हटाना है।
युवा मतदाताओं की बात करे तो दिल्ली का युवा वर्ग भी केजरीवाल के झूठे वादों और दोगले चरित्र की मिमिक्री हर गली चौराहों पर कर रहा है तो ऐसे में युवा केजरीवाल के नाम पर वोट कैसे कर सकता है।
दिल्ली सरकार के कर्मचारियों का सही समय पर वेतन न मिलने से कर्मचारी वर्ग भी नाराज है।
दिल्ली के व्यापारी वर्ग को दिल्ली सरकार से कोई खास लेनदेना है नहीं उसके लिए केंद्र सरकार के बजट का प्रभाव ज्यादा होता है जो कि उनके पक्ष में ही है तो व्यापारी वर्ग भी केजरीवाल को इस वोट करने वाली नहीं है।
जातीय समीकरण की बात करे तो ...........
जाट मतदाता जब इनको हरियाणा चुनाव में एकदम से बहिष्कृत कर दिया तो दिल्ली में कैसे वोट करेंगे इनके लिए
पंजाबी मतदाता पंजाब में आप पार्टी की सरकार बनाकर पश्चाताप कर रहे है तो दिल्ली में फिर से कैसे वोट करेंगे जब की केजरीवाल जी का पिछले दस सालों में चरित्र उजागर हो चुका है की इन्होंने दिल्ली की जनता को केवल बेवकूफ बनाया है
पूर्वांचल यानी उत्तर प्रदेश बिहार उत्तराखंड के मतदाताओं को भी अब केजरीवाल से ज्यादा विश्वसनीय और चरित्रवान नेता मोदी जी नजर आते है ऐसे में इनका मत भी इनको नहीं मिलने वाला है।
उपरोक्त बातों से यह तो तय है कि आप पार्टी दिल्ली में पिछले दो चुनावों की अपेक्षा इस बार कम सीटें जीतेंगी इसका एक बड़ा कारण यह भी है कि आप पार्टी के ही कई पूर्व विधायक और बड़ी संख्या में समर्थक अरविंद केजरीवाल और इनके सहयोगी मंत्रियों से बहुत नाराज है यानी कि आप पार्टी वर्तमान समय में समर्पित कार्यकर्ताओं के स्तर पर भी कमजोर नजर आ रही है। आप पार्टी के आठ वर्तमान विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा देकर बीजेपी ज्वाइन कर लिया है।
बीते लोक सभा चुनाव 2024 में भी दिल्ली में आप प्रत्याशियों को 2020 के विधानसभा चुनाव की अपेक्षा कम मतदान हुआ जब कि केजरीवाल जी के जेल जाने से मतदाताओं में भावनात्मक रुझान था। इसके बावजूद आप दिल्ली में एक भी लोक सभा सीट नहीं जीत पाई।
केजरीवाल मनीष सिसोदिया से लेकर वर्तमान आप सरकार के अधिकतर मंत्री अपने विधान सभा क्षेत्र में अपनी झूठी बातों से बहुत कमजोर नजर आ रहे है।
ऐसे में यह तो निश्चित है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में आप पार्टी अब तक का सबसे खराब प्रदर्शन करने जा रही है। पिछली बार की अपेक्षा आधी सीट भी जीतना मुश्किल दिखाई दे रहा है।
आइए अब बात करते है कि दिल्ली में बीजेपी सरकार बनने की संभावना कैसे अधिक दिखाई दे रहीं हैं ........
इसका सबसे बड़ा कारण है वर्तमान में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण बीजेपी के पक्ष में है। महिला मतदाताओं का पूर्ण समर्थन इस बार बीजेपी को मिलेगा। पूर्वांचल के मतदाता इस बार केजरीवाल के झूठे वादे में नहीं फंसने वाले है।
पिछली बार 2020 दिल्ली विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लगभग 15- 20 प्रत्याशी केवल 500 से 2000 मतों के अंतर से चुनाव हार गए थे जो इस बार जीत जाएंगे।
जनता का रुझान बीजेपी के पक्ष में होने से बीजेपी का मत प्रतिशत भी इस बार बढ़ेगा तो सीटों की संख्या भी बढ़ेगी।
जिसके प्रभाव से बीजेपी इस बार दिल्ली विधानसभा में लगभग 35- 40 सीटें जीत जाएगी.....
हो सकता है त्रिकोणीय लडाई में कुछ और अधिक सीटें बीजेपी जीत जाए।
कांग्रेस का पिछले चुनाव में खाता भी नहीं खुला था लेकिन इस बार कांग्रेस दिल्ली विधानसभा में अपनी उपस्थिति सुनिश्चित कर लेगी त्रिकोणीय लडाई और आप सरकार के प्रति जनता की नाराजगी का लाभ कांग्रेस को भी होगा और कांग्रेस इस बार दिल्ली में 3- 5 सीटें जीत सकती है।
अन्य और निर्दलीय को भी कांग्रेस की तरह लाभ मिल सकता है 1 या 2 सीट का
इस प्रकार आप पार्टी को इस बार दिल्ली चुनाव में 25- 30 सीट से अधिक मिलने की संभावनाएं नहीं दिखाई दे रही है।
ऐसा मेरा आकलन है बाकी ....
5 फरवरी की शाम को मतदान के बाद बड़े बड़े राजनितिक विश्लेषकों का रुझान TV Channel पर हम सभी को देखने सुनने को मिलने लगेगा और 8 फरवरी को दिल्ली में अगली सरकार और मुखिया का पता भी चल जाएगा लेकिन मेरा आकलन नोट कर लीजिए परिणाम लगभग ऐसा ही होना चाहिए।
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