THE YOUTH blogspot is forum to put FIRE in Leading Youth Community for action to eradicate existing problems at mass level and RAISE VOICE against irresponsible Politician, Citizen & Beurocrates to make them active in support of Public, To Ignite YOUTH and Rural India to set landmark story in his/her expert area.
Sunday, 31 December 2023
दैनिक दिनचर्या के कार्यकारी नववर्ष 2024 की आप सभी को मंगल शुभकामनाएं।
Sunday, 15 October 2023
किसी देव स्थान में दर्शन के पश्चात मंदिर की सीढ़ियों पर कुछ क्षण के लिए ज़रूर बैठे।
Friday, 5 May 2023
एक राजा जिसने बोधिसत्व प्राप्त कर स्वयं को चिरंजीव बना लिया।
Tuesday, 25 April 2023
अक्षय तृतीया सनातन संस्कृति की श्रेष्ठ तिथियों में से एक सर्वश्रेष्ठ तिथि है
सूर्य भगवान ने पांडवों को अक्षय पात्र दिया और कनकधारा स्तोत्र की रचना भी श्री आदि शंकराचार्य ने आज के ही दिन किया था।
वेदव्यास जी ने महाकाव्य महाभारत की रचना गणेश जी के साथ शुरू किया था और महाभारत का युद्ध भी आज ही समाप्त हुआ था।
प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान के 13 महीने का कठीन उपवास का पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया था।
प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण धाम का कपाट भी आज के ही दिन खोले जाते है और वृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में श्री कृष्ण चरण के दर्शन वर्ष में केवल एक बार चैत्र शुक्ल तृतीया को होते है।
भगवान जगन्नाथ के सभी रथों को बनाना भी आज के दिन प्रारम्भ किया जाता है।
इस प्रकार अक्षय तृतीया की तिथि सनातन संस्कृति सभ्यता के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।
Friday, 14 April 2023
विवाह कार्यक्रम जीवन का एक श्रेष्ठ संस्कार है इसे आधुनिकता के प्रपंच में न बांधे।
"विवाह" मानव जीवन का एक पवित्र बंधन है जो ब्रह्मांड की दिव्य वातावरण में उपस्थिति ईश्वरीय शक्तियों, दिव्य आत्माओं, पितृ को साक्षी मानकर उनका आवाहन करके अग्नि के समक्ष सात फेरों या ये कहे की दो जागृत आत्माएं स्त्री व पुरुष एक दूसरे के सात वचनों से सहमति होकर संसार के रचनात्मक कार्यों में अपनी भुमिका अदा करने के उद्देश्य से नव जीवन की शुरुआत करते है। इस प्रकार विवाह कार्यक्रम प्रकृति द्वारा निर्धारित पृथ्वी पर एक सर्वश्रेठ दैविक आयोजन है जिसे मर्यादाओं मे रहकर ही संपन्न करना कराना चाहिए जिससे हमारी सनातन संस्कृति सभ्यता का आधार और मजबूत हो न कि दूषित हो। इसलिए आधुनिक व्यवस्था के बढ़ते प्रचालन व दिखावे से हम सभी को बचाना चहिए।
अभी हाल ही में इसका एक बढ़िया उदाहरण राजस्थान के जयपुर शहर से प्राप्त हुआ जहां वर पक्ष के तरफ से लड़के ने बधू पक्ष के समक्ष कुछ शर्तें रखी जिसे सुनकर लोग आश्चर्यचकित हुए कि आज के आधुनिक व्यवस्था में जहां लड़के लड़की व उनके परिवार की तरफ से लग्जरी गाड़ियों, फाइव स्टार वेन्यू, ड्रोन कैमरों प्री वेडिंग सूट, रिवॉल्विंग स्टेज पर जयमाल कार्यक्रम और हेलीकॉप्टर से रोज लीव्स के बरसात कराने के शर्ते रखी जाती है। ऐसे में लड़के ने सनातन वैदिक व्यवस्था के तहत विवाह संपन्न कराने का शर्त रख दिया। विवाह पूर्व लड़के ने लड़की वाले से हैरान करने वाली अनोखी मांगे रखी जो देशभर चर्चा का विषय बना है। मजेदार बात यह है कि मांगें दहेज को लेकर नहीं बल्कि विवाह संपन्न कराने के तरीके और अनुचित परंपराओं के बढ़ते प्रचलन को लेकर हैं। लड़के ने मांग किया प्री
प्री वैडिंग शूट में वो नहीं शामिल होगा यानी उसे प्रेम का फिल्मों की तर्ज पर मजाक नहीं उड़ना क्यों कि प्रेम दो जीव आत्माओं के बीच का बहुत ही शुद्ध भाव है जिसे प्री वेडिंग शूट के माध्यम से दूषित करना अनुचित है।दु
ल्हन शादी में लहंगे की बजाय पारंपरिक पीले, लाल या गुलाबी रंग की साड़ी पहने !
मैरिज समारोह स्थल पर ऊलजुलूल, अश्लील, कानफोड़ू संगीत की बजाय केवल हल्का इंस्ट्रूमेंटल संगीत ही बजे !
वरमाला के समय केवल दूल्हा दुल्हन ही स्टेज पर रहें !
वरमाला के समय दूल्हे या दुल्हन को.. उठाकर उचकाने वालों को विवाह कार्यक्रम से दूर रखा जाए !
जब पंडितजी द्वारा विवाह प्रक्रिया शुरू कर दिया जाए और उनका वैदिक मंत्रोचार व विवाह विधि सही है तो उन्हें कोई बीच में रोक टोक नही !
कैमरामैन फेरों आदि के चित्र दूर से ले न कि बार बार पंडितजी को टोक कर.. विवाह विधि में व्यवधान उत्पन्न करे क्यों कि विवाह कार्यक्रम देवताओं का आह्वान करके उनके साक्ष्य में किया जाने वाला समारोह है.. ना की किसी फिल्म की शूटिंग !
दूल्हा दुल्हन द्वारा कैमरामैन के कहने पर उल्टे सीधे पोज नहीं बनाये जायेंगे क्यों कि बधु किसी के परिवार की इज्जत उसकी पैमाइश लोगो की भीड़ के समक्ष कराने की जरुरत नही !
विवाह समारोह दिन में हो और शाम तक विदाई संपन्न हो जाए जिससे किसी भी मेहमान को रात 12 से 1 बजे खाना खाने से होने वाली समस्या जैसे अनिद्रा, एसिडिटी आदि से परेशान ना होना पड़े और मेहमानों को अपने घर पहुंचने में कोई असुविधा ना हो !
नवविवाहित को लोगो के समक्ष.. आलिंगन करने, डांस करने व एक दूसरे को खाना खिलाने के लिए ना कहा जाए !
विवाह कार्यक्रम में भोजन व्यवस्था में किसी प्रकार का मांस मदिरा वर्जित होगा क्यों कि विवाह में देवी देवताओं का आवाह्न किया जाता है मांस मदिरा देखकर देवी देवता रूष्ट होकर दूल्हा दुल्हन को बिना आशीर्वाद दिए चले जाते हैं !
अच्छी खबर यह है की लड़की वालों ने लड़के की सभी मांगे मानते हुए सनातन संस्कृति सभ्यता को मजबूती प्रदान करने के लिए सहर्ष तैयार हो गए और विवाह समारोह वैदिक परंपरा से संपन्न हुआ..!
सनातन धर्म की जय हो।
#SayNoForDowry #NADA
Dowry is will It can't be demand
Tuesday, 11 April 2023
मोदी जी को सत्ता में वापस लाना हम भारतीयों के लिए क्यों अति आवश्यक है।
जैसा कि हम सभी जानते है अंग्रेजो के काले कानून से तो हमें 1947 में आजादी मिल गई थी लेकिन अंग्रेजो और भारत के शीर्ष नेताओं के बीच "ट्रांसफर ऑफ पावर" का जो समझौता पत्र हस्तांतरित हुआ था जिस पर नेहरू जी ने भारत के शीर्ष नेता के रूप के साइन किया था उसे आज तक हिन्दुस्तानियों से छिपाकर रखा गया, उसका कारण था कि अंग्रेजों ने शर्त रखा था की 1947 से 50 सालों तक भारत सरकार पेपर को सार्वजनिक नहीं करेगा और इसमें संसोधन का अधिकार भारतीय संविधान के अनुसार भारतीय संसद, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति एवम संविधान के अनुच्छेदों 366, 371, 372, 395 के पास भी नहीं दिया गया।
जिसके परीणाम स्वरूप, 1947 से लगातार देश के खजाने से प्रतिवर्ष 10 अरब रुपये पेंशन के रूप में ब्रिटेन की महारानी के कोष में उनके जीवन काल तक जा रहा था जो उनके मृत्यू के पश्चात अब कानूनी प्रक्रिया की वजह से रुका है और यदि मोदी जी वापस लौटते है तो निश्चाय ही इस व्यव्स्था को संविधान संशोधन कर हमेशा के लिए रोक दिया जाएगा।
समझौते के तहत भारत प्रति वर्ष 30 हजार टन गौ-माँस भी ब्रिटेन को देने के लिए बाध्य है।
भारत अपना राजदूत (एम्बबेसड) अमेरिका, जापान, चीन, रूस, जर्मनी जैसे देशों में तो नियुक्त करता है… ..... लेकिन श्रीलंका, पाकिस्तान, कनाडा, आस्ट्रेलिया, इंडोनेेशिया, सिंगापुर आदि देशों में राजदूत नही यहां केवल उच्चायुक्त ही नियुक्त कर सकता है।
आखिर ऐसा क्यों.? ऐसा इस लिए, क्यों कि
भारत समेत 54 देशों को कॉमनवेल्थ कंट्री के नाम से जाना जाता है, इंडिपेंडेंट नेशन के नाम से नहीं ? क्यों कि
ब्रिटिश नैशनैलिटी अधिनियम 1948 के अन्तर्गत कॉमनवेल्थ का अर्थ होता है "सयुंक्त सम्पत्ति" जिसके तहत हर भारतीय,आस्ट्रेलियाई, कनेडियन,चाहे हिन्दू हो मुसलमान या ईसाई, बौद्ध या सिक्ख आज भी कानूनन ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ के ग़ुलाम हैं और उनके मरने के बाद अब उनकी जगह किंग चार्ल्स 3 के गुलाम हैं।
सन् 1997 में "ट्रांसफर ऑफ पावर" सहमति पत्र ( जो एक गोपनीय समझौता ) के 50 साल पूरे होने से पहले ही इसको सार्वजनिक होने से रोकने हेतु सोनिया गांधी ने तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्द्र कुमार गुजराल द्वारा इसकी अवधि 2024 तक बड़ा दी थी जिसे 2024 में पुन: सार्वजनिक होने के डर से भारत विरोधी शक्तियां मोदी जी का विरोध कर रही हैं ताकि 2024 में भी यह सार्वजनिक न हो पाये और देश के खजाने से 10 अरब रुपये पेंशन प्रतिवर्ष ब्रिटेन जाता रहें।
इसके अलावा और भी बहुत रहस्य गोपनीय है जो पूर्वार्ति सरकारों ने छुपा रखा है जिसका पता चलना देश हित में बहुत आवश्यक है इसलिए मोदी जी का २०२४ में प्रधाममंत्री बनना अतिआवश्यक है।
स्वतन्त्र भारत का इतिहास गवाह है कि जब भी भारत में मजबूत नेताओं ने सत्ता संभाली जैसे लाल बहादुर शास्त्री जी तो उनकी हत्या करवाई गई यह सभी को पता है कि उन्हे कैसे ताशकंद में खाने में जहर दिया गया.. ,सुभाष चंद्र बोस की मौत आदि रहस्य बनकर रह गई........
इसी तरह हमारी स्वतंत्रता भी एक रहस्य बनी है
इस लिए राष्ट्रहित में सभी देश भक्तों का एकजुट होना बहुत आवश्यक है।
इसलिए सभी सनातनी भारतवासियों से अपील है कि अपना निज स्वार्थ, ऊंच नीच, जातिवाद, क्षेत्रवाद, प्रांतवाद के भेदभाव मिटाकर, देश धर्म और आनेवाली पीढ़ी की रक्षा, सुख शांति समृद्धि के लिए 2024 मे मोदी जी को भारी जनादेश देकर प्रधानमंत्री बनाने के लिए अपना १००% योगदान करे..,यह आज के समय की मांग समझिए और दूसरा कोई विकल्प ही नही है।
वरना देश के स्वार्थी, भ्रष्टाचारी नेताओ और टुकड़े टुकड़े गैंग के समर्थक भारत को बर्बाद कर देंगे। देश जो आज मोदी जी के दस साल के प्रयास से विश्व की पांचवीं अर्थव्यवस्था बनकर विश्व शक्ति बनने की राह पर चल रहा है उसे फिर से विपक्षी नेता और पार्टियां आकंठ भ्रष्टाचार में लिप्त होकर दसवीं पायदान पर पहुंच देंगे।
इसीलिए हमें सतर्क और सावधान भी रहने की जरुरत है नही तो स्वार्थी विपक्षी दल और कुकुर मुत्ते की तरह फैले सोशल मीडिया न्यूज चैनल चंद रुपयों की लालच में जी जान लगाकर जनता को गुमराह करने की मुहिम में लगे है और मोदी जी को बदनाम करने की पूरी कोशिश कर रहे है जिससे मोदी जी दुबारा सत्ता में ना लौटे l...…
इस लिए हर भारतीय को अपनी आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन देने के उद्देश्य से मोदी जी को प्रचंड बहुमत से पुनः प्रधानमन्त्री बनाने के लिए सभी भारतीयों को.मोदी लाओ देश सुरक्षित बनाए रखो का नारा जन जन तक पहुंचना है।
#OnceMoreNAMO #VoteForNAMO
जय हिन्द जय भारत।। जय हो सनातन संस्कृति की।।
Thursday, 16 March 2023
राम कौन हैं राम मर्यादा पुरूषोत्तम है राम देवत्व जीवन के आदर्श है
राम" केवल एक शब्द या नाम नही बल्कि समस्त सनातानियो और अखंड भारत के लिए एक श्रेष्ठ आदर्श व्यक्तित्व है जो भारतीय समाज व परिवार के लिए आदर्श जीवन की मर्यादाओं के शिक्षक है। परिवार व समाज के प्रत्येक रिश्तों को निभाने के उच्च संस्कार का श्रेष्ठ उदाहरण राम है। वर्तमान युग में श्रेष्ठ नाम जाप में राम नाम है जो मनुष्य का तारणहार है।
राम..! नाम का मानव जीवन में दो निहतार्थ हैं,
सुखी होना.. और स्थिर - शान्त हो जाना
अर्थात राम नाम में ही सुख है और आत्मज्ञान का साक्षात्कार भी राम नाम में ही है
जब व्यक्ति सांसारिक जीवन में मर्यादा पुरुषोत्तम राम के देवत्व को अपनाने का प्रयास मात्र शुरु करता है तब अपने मार्ग से भटका हुआ तनाव से ग्रसित अशांत मन किसी शान्ति पूर्ण स्थान को देखकर ठहर जाता है जीवन के इस सुखद ठहराव को अर्थ देने वाले शब्दों में भी "राम" ही अंतर्निहित है....जैसे आराम.! विराम.! विश्राम.! अभिराम.! ग्राम.! प्रणाम ... ! अर्थात
जो "रमने" के लिए विवश कर दे वह "राम..! ही है
आजकल जीवन की भाग दौड़ में उलझा मन जिस आनंददायक गंतव्य की सतत तलाश में है वह गंतव्य भी राम.. नाम में ही निहित है।
राम नाम की महिमा इतनी है कि भारतीय सनातन संस्कृति में हर स्थिति में मनुष्य मन राम को साक्षी बनाने का आदी है जैसे दुःख और पीड़ा में " हे राम.! लज्जा में "हाय राम.! अशुभ स्थिति में "राम रे राम.! अभिवादन में जब दोनो हाथ जुड़ जाते है तब प्रणाम भी राम राम..! बन जाता है, यही शपथ के समय "राम कसम.! अज्ञानता में राम जाने.! अनिश्चितता में राम भरोसे..! अचूकता के लिए रामबाण इलाज..! मृत्यु के लिए "रामनाम सत्य...! वही सुशासन के लिए "रामराज्य...! और मनुष्य जीवन का अंतिम शब्द भी राम राम ... ही होता है जो जीवन की अन्तिम यात्रा में सद्गति का राह प्रशस्त करता है। महात्मा गांधी जी के अन्तिम शब्द "हे राम ... ही थे। रावण जैसा ज्ञानी पराक्रमी तपस्वी भी अंतिम समय में राम नाम लेने में देर नहीं किया उसको पता था राम के द्वारा और राम नाम से ही उसको मोक्ष प्राप्ति होगी।
भारतीय समाज में ऐसी अभिव्यक्तियाँ, दैनिक जीवन पथ में पग-पग पर राम को साथ खड़ा करतीं हैं और राम भी इतने सरल व सहज हैं की हर जगह अपने भक्तों के साथ खड़े हो जाते हैं। हर भारतीय उन पर अपना अधिकार मानता है उनको अपना मानता है जिसका कोई नहीं उन सबके लिए राम ही राम..! है।
राम नाम का इतना प्रभाव है की हजारों बार देखी सुनी पढ़ी जा चुकी रामकथा की रोचकता कभी खत्म ही नहीं होती अभी कोरोना काल के दौरान जब मोदी जी ने रामायण सीरियल का प्रसारण दिन में तीन बार विभिन्न चैनलों पर करवाया तो रामायण का प्रसारण देखने का लोगो में इतना उत्साह था कि तीन महीने तक जनता सभी कार्य छोड़कर अपने आदर्श पुरूषोत्तम राम के देवत्व रूप को देखने सुनने के लिए तन्मयता के साथ टीवी के सामने समय से बैठे जाती है और राम के द्वारा बोले गए एक एक संवाद व व्यवहार को समझने का प्रयास करता जो साधारण मनुष्य में देवत्व के विकाश की राह प्रशस्त करता है।
हमारे भीतर जो कुछ भी अच्छा है वह राम.....ही है।
राम केवल एक शब्द ही नहीं राम सत्य निष्ठा, धर्म कर्तव्य, शुद्ध आचरण, आस्था, नैतिक मूल्यों, स्वाभिमान और श्रेष्ठ जीवन दर्शन का नाम है। राम भारतीय सनातन संस्कृति की आत्मा है राम शाश्वत है राम शिवांश है राम तपस्वी है।
राम एक श्रेष्ठ व आज्ञाकारी पुत्र है राम त्याग व पुरुषार्थ का नाम है।
राम एक आदर्श भाई है राम दया क्षमा के प्रतिरूप है।
राम धर्मनिष्ठ राजा है राम अनादि है अनंत है!
राम नाम से ही जीवन के भ्रम भटकाव अंहकार मद मोह का अंत है।
राम सनातन आस्था के प्रतीक भारतीयों के आराध्य है।
जीवन में सब कुछ अंत हो जाने के बाद भी जो बचा रह जाता है वह भी राम ही है राम हमारी आत्मा है हम राम के है और राम हमारे है।
जब कोई व्यक्ति घोर निराशा से गुजरते हुए उठ खड़ा होता है तो वह आत्मबल भी राम ही है। अनन्त सीमाओं के बीच छुपे हुए गूढ़ को, जो समझ पाए वो भी राम ही है ..!
राम वह है जिसको ये पता है की जन्म का उद्देश्य क्या है और जो जीवन के धर्म पथ पर सुख का मोह नहीं रखता और दुख में किंचित विचलित नहीं होता है। राज्याभिषेक की खबर सुनकर बहुत खुश भी नही जाहिर करता और वनवास की ख़बर को बिना दुख के बिना किसी प्रतिक्रिया के स्वीकार कर लेता है।
इसीलिए राम मर्यादा पुरूष पुरूषोत्तम राम है ।।
जय श्री राम..🌹🙏