Sunday 21 November 2010

क्या आप ने कभी सोचा की, स्वतंत्रता से वास्तव में हमे क्या मिला ? क्या सही मायने में हम स्वतंत्रता से प्राप्त अपने अधिकारों का प्रयोग कर रहे है ?

आज जब की हम आज़ादी की ६४वि सालगिरा माना रहे है ऐसे में kuchh महत्वपूर्ण प्रश्नों पर चर्चा करना आवश्यक है, जो विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र की उस व्यवस्था के प्रति सच्ची श्रधांजलि होगी जिसके हम भागिदार है, और usaki निष्पक्षता सुनिश्चित करना हमारा कर्तव्य है क्यों की किसी देश की आत्मा उस देश के नागरिको में बसती है अतः अपनी संवैधानिक व्यवस्था के प्रति हम जीतनी अधिक शुद्धता सुनिश्चित कर पायेंगे उतनी ही शुद्धता आर तीब्रता के साथ इस व्यवस्था का सञ्चालन भी सुनिश्चित ho paayega , यह संभव तभी हो पायेगा जब देश का प्रतेक नागरिक संविधान के मूल उधेश्य को आत्मसात करे और स्वतंत्रता से प्राप्त मूल अधिकारों का सही उपयोग सुनिश्चित हो ।

चर्चा को आगे बढ़ने से पहले हम देश के इतिहास को संक्षिप्त में समझाने की कोशिश करेगे, जैसा की हम सब जानते है की लांखो नवजवानों, महिलाओं, बुजुर्गो की कुर्बानी का परिणाम है की आज हम २०० साल के ब्रिटिश हुकूमत से १५ august १९४७ को आजाद हो पायें। देश की आजादी का तो हम सब को गर्व है परन्तु हम उन शहीदों की शहादत को hum भूल गएँ है जिसके लिए unhone लड़ाई । british शासन से छुटकारा हम क्यों चाहते थे? आजादी से मुख्यरूप से हमे क्या मिला ? स्वतंत्रता का मूल अर्थ क्या है ? क्या वास्तव में हम स्वतंत्रता से प्राप्त अपने अधिकारों का प्रयोग सही रूप में कर पा रहे है ? भारतीय संविधान द्वारा नागरिको को दिया गया सबसे महत्वपूर्ण अधिकार क्या है ? आज हमारी शक्शार्ता ७५% से अधिक हो चुकी है फिर भी इन प्रश्नों पर न कोई सोचता है न ही आवाज उठता है , इस लेख के माध्यम से स्वतंत्रता से प्राप्त सबसे महत्वपूर्ण अधिकार के बारे में प्रकाश डालेंगे जो हमे मुग़ल और ब्रिटिश काल में प्राप्त नहीं था, जैसे की अपने राजा को चुनने का अधिकार, वोट का अधिकार


वोट का अधिकार, एकलौता अधिकार है जो सही मायना में हमे स्वतंत्र होने का यह्सास करता है इसे छोड़ दे तो हम आज भी उसी व्यवस्था व् परंपरा के भागिदार है जैसे मुग़ल व् ब्रिटिश काल के दौरान थे, केवल उसका संचालन समय व् परिस्थिति के अनुसार एक हाथ से दुसरे हाथ में भटक रही है और यह भी तभी संभव हो पाया जब हमे वोट का अधिकार मिला। इस तरह हम समझ सकते है की वोट का अधिकार हमारे हाथ में एक ऐसी शक्ति है जिसके माध्यम से हम अपने क्षेत्र, राज्य, देश के विकाश को सुनिश्चित करवा सकते है और जो जनता के प्रतिनिधि इसके विपरीत सोच रखते है उनका परिवर्तन भी सुनिश्चित कर सकते है। जैसे की वोट के अधिकार की उपयोगिता बिना चुनाव के संभव नहीं है वैसे ही बिना उपयुक्त प्रतिनिधि के चुने क्षेत्र का विकाश संभव नहीं है । गाँधी जी हमेशा कान्हा करते थे की किसी देश का विकाश तभी संभव है जब गाँव का विकाश सुनिश्चित हो पायेगा, अर्थार्थ जब गाँव में पानी, विजली, स्वस्थ्य, सड़क व् रोजगार की सुविधाए सुचार रूप से कार्य करे तभी किसी देश का सम्पूर्ण विकाश सुनिश्चित होगा, यही कारण है की पंचायतीराज व्यवस्था आज गाँव में मौलिक सिविधाये उपलब्ध कराने का मुख्या केंद्र बन गया है । इस प्रकार पंचायत का मुखिया व् विधायक किसी भी क्षेत्र के विकाश की मुक्य कड़ी है जहाँ से किसी भी देश के विकाश का वास्तविक पैमाना तय होता है, अर्थार्थ जब हम अपना मुखिया व् विधायक ही गलत चुन लेंगे तो क्षेत्र का विकाश अशंभव है इस लिए वोट देने से पहले प्रत्यासी के पृष्ठभूमि, शिक्षा, उपलब्धियों को ध्यान में रखना जरुरी है। अफसोश तो इस बात का है की जैसे जैसे हमारी शक्शार्ता बढ़ रही है वैसे ही वोट करने की रूचि कम होती जा रही है शिक्षित सिविल सोसाइटी के लोग वोट के दिन घर में आराम फरमा रहे होते है यही कारण है की हम उपयुक्त प्रतिनिधि नहीं चुन पाते है भ्रष्टाचार बढ़ने का एक कारन ये भी है जिसके लिया हम सभी जिमेदार है परन्तु हम अपनी गलतियों को सिख नहीं लेते है आरोप और पर लगाते है

अतः मई आप लोगो से इस लेख के माध्यम से अपना वोट सुनिश्चित करने का अनुरोध करता हु और वोट ऐसे व्यक्ति को दे जो हमारी सुरक्षा सुनिश्चित कर पाए , अपराध व् गुंडागर्दी से मुक्त करा पाए, जो हमारे क्षेत्र का विकाश सुनिश्चित करा पाए, जो सदन में पूरी दृढ़ता व् आत्म विश्वाश के साथ अपने बातो व् समस्याओ को रख सके.

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