Tuesday 25 April 2023

अक्षय तृतीया सनातन संस्कृति की श्रेष्ठ तिथियों में से एक सर्वश्रेष्ठ तिथि है

चैत्र शुक्ल तृतीया तिथि को त्रेता और द्वापर युग का संधि काल कहा जाता है मान्यता है कि आज के दिन किए गए सभी शुभ कर्मों का अक्षय फल प्राप्त होता है इसी लिए इस तिथि को अक्षय तृतीया कहा जाता है। अक्षय का मतलब है जिसका कभी क्षय (नाश) न हो, अक्षय तृतीया अपने आप में स्वयं सिद्ध मुहूर्त है किसी भी शुभ कार्य का प्रारम्भ आज के दिन किया जा सकता है.... आज के दिन शुरु किया गया कार्य हर प्रकार से सफलता देने वाला होता है। 

आज के ही दिन ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र के रूप में श्री हरि विष्णु के छठे अवतार भगवान परशुराम ने पृथ्वी पर अवतरण लिया था। श्री परशुराम भगवान देवधिदेव महादेव के परम भक्त थे और उनकी निरंतर साधना किया करते थे जिससे प्रसन्न होकर भगवान शिव ने इन्हे अपना परशु शस्त्र प्रदान किया था। परशुराम भगवान शस्त्र और शास्त्र से युक्त पृथ्वी के सर्वश्रेष्ठ पुरुषों में से एक है जिन्होंने अकेले स्व पुरुषार्थ के बल से २१ बार पृथ्वी पर व्याप्त कुरीतियों और राक्षसी प्रवृत्ति के लोगो को विनष्ट कर दिया था।
महायोद्धा भीष्म पितामह, सूर्यपुत्र कर्ण और गुरू द्रोणाचार्य को दीक्षा भगवान परशुराम ने ही प्रदान किया था। प्रभु श्री राम को पिनाक धनुष और श्री कृष्ण को सुदर्शन चक्र श्री परशुराम ने ही दिया था। 
पृथ्वी पर आज भी विचरण करने वाले आठ दिव्य आत्माओं में से एक भगवान परशुराम जी चिरंजीवी है और आज भी महेंद्र पर्वत पर विचरण करते है। अन्य सात चिरंजीवी आत्माओं में श्री हनुमान जी पवनपुत्र के रूप में सर्वत्र विराजमान हैं, ऋषि वेदव्यास, गुरु कृपाचार्य, रामभक्त विभीषण, किष्किंधा के राजा बलि और द्रोणाचार्य पुत्र अस्वथामा है जिनके बारे में मान्यता है कि अस्वथमा मध्य प्रदेश के बुरहानपुर शहर से २० किलोमीटर दूर असीरगढ़ किला में स्थित शिव मंदिर में आज भी ब्रह्म मुहूर्थ में पूजा करने आते है। ऋषि मार्कण्डेय पृथ्वी पर आठवें चिरंजीवी आत्मा है जिन्होंने महामृत्युंजय मंत्र को सिद्ध कर लिया है जिससे इन्हे अमरत्व प्राप्त हो गया है। 
आज के ही दिन पृथ्वी पर नर नारायण और ब्रह्मा विष्णु  अवतरित हुए थे। मां गंगा का भी आज के ही दिन भगवान विष्णु के चरणों से पृथ्वी पर आगमन हुआ था। 
ब्रह्मा जी के पुत्र अक्षय भी आज के ही दिन जन्म लिए। 
सतयुग, त्रेता और द्वापर युग की शुरुवात भी आज के ही दिन से हुआ था। 
माँ अन्नपूर्णा का जन्म और देवताओं के कोषाध्यक्ष श्री कुबेर भगवान को खजाना आज ही मिला था।

सूर्य भगवान ने पांडवों को अक्षय पात्र दिया और कनकधारा स्तोत्र की रचना भी श्री आदि शंकराचार्य ने आज के ही दिन किया था।

वेदव्यास जी ने महाकाव्य महाभारत की रचना गणेश जी के साथ शुरू किया था और महाभारत का युद्ध भी आज ही समाप्त हुआ था।

प्रथम तीर्थंकर आदिनाथ ऋषभदेवजी भगवान के 13 महीने का कठीन उपवास का पारणा इक्षु (गन्ने) के रस से किया था।

प्रसिद्ध तीर्थ स्थल श्री बद्री नारायण धाम का कपाट भी आज के ही दिन खोले जाते है और वृंदावन के बाँके बिहारी मंदिर में श्री कृष्ण चरण के दर्शन  वर्ष में केवल एक बार चैत्र शुक्ल तृतीया को होते है।

भगवान जगन्नाथ के सभी रथों को बनाना भी आज के दिन प्रारम्भ किया जाता है।

इस प्रकार अक्षय तृतीया की तिथि सनातन संस्कृति सभ्यता के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है।

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Friday 14 April 2023

विवाह कार्यक्रम जीवन का एक श्रेष्ठ संस्कार है इसे आधुनिकता के प्रपंच में न बांधे।

"विवाह" मानव जीवन का एक पवित्र बंधन है जो ब्रह्मांड की दिव्य वातावरण में उपस्थिति ईश्वरीय शक्तियों, दिव्य आत्माओं, पितृ को साक्षी मानकर उनका आवाहन करके अग्नि के समक्ष सात फेरों या ये कहे की दो जागृत आत्माएं स्त्री व पुरुष एक दूसरे के सात वचनों से सहमति होकर संसार के रचनात्मक कार्यों में अपनी भुमिका अदा करने के उद्देश्य से नव जीवन की शुरुआत करते है। इस प्रकार विवाह कार्यक्रम प्रकृति द्वारा निर्धारित पृथ्वी पर एक सर्वश्रेठ दैविक आयोजन है जिसे मर्यादाओं मे रहकर ही संपन्न करना कराना  चाहिए जिससे हमारी सनातन संस्कृति सभ्यता का आधार और मजबूत हो न कि दूषित हो। इसलिए आधुनिक व्यवस्था के बढ़ते प्रचालन व दिखावे से हम सभी को बचाना चहिए।

अभी हाल ही में इसका एक बढ़िया उदाहरण राजस्थान के जयपुर शहर से प्राप्त हुआ जहां वर पक्ष के तरफ से लड़के ने बधू पक्ष के समक्ष कुछ शर्तें रखी जिसे सुनकर लोग आश्चर्यचकित हुए कि आज के आधुनिक व्यवस्था में जहां लड़के लड़की व उनके परिवार की तरफ से लग्जरी गाड़ियों, फाइव स्टार वेन्यू, ड्रोन कैमरों  प्री वेडिंग सूट,  रिवॉल्विंग स्टेज पर जयमाल कार्यक्रम और हेलीकॉप्टर से रोज लीव्स के बरसात कराने के शर्ते रखी जाती है। ऐसे में लड़के ने सनातन वैदिक व्यवस्था के तहत विवाह संपन्न कराने का शर्त रख दिया। विवाह पूर्व लड़के ने लड़की वाले से हैरान करने वाली अनोखी मांगे रखी जो देशभर चर्चा का विषय बना है। मजेदार बात यह है कि मांगें दहेज को लेकर नहीं बल्कि विवाह संपन्न कराने के तरीके और अनुचित परंपराओं के बढ़ते प्रचलन को लेकर हैं। लड़के ने मांग किया प्री

प्री वैडिंग शूट में वो नहीं शामिल होगा यानी उसे प्रेम का फिल्मों की तर्ज पर मजाक नहीं उड़ना क्यों कि प्रेम दो जीव आत्माओं के बीच का बहुत ही शुद्ध भाव है जिसे प्री वेडिंग शूट के माध्यम से दूषित करना अनुचित है।दु

ल्हन शादी में लहंगे की बजाय पारंपरिक पीले, लाल या गुलाबी रंग की साड़ी पहने !

मैरिज समारोह स्थल पर ऊलजुलूल, अश्लील, कानफोड़ू संगीत की बजाय केवल हल्का इंस्ट्रूमेंटल संगीत ही बजे !
वरमाला के समय केवल दूल्हा दुल्हन ही स्टेज पर रहें  !
वरमाला के समय दूल्हे या दुल्हन को.. उठाकर उचकाने वालों को विवाह कार्यक्रम से दूर रखा जाए !
जब पंडितजी द्वारा विवाह प्रक्रिया शुरू कर दिया जाए और  उनका वैदिक मंत्रोचार व विवाह विधि सही है तो उन्हें कोई बीच में रोक टोक नही !
कैमरामैन फेरों आदि के चित्र दूर से ले न कि बार बार पंडितजी को टोक कर.. विवाह विधि में व्यवधान उत्पन्न करे क्यों कि विवाह कार्यक्रम देवताओं का आह्वान करके उनके साक्ष्य में किया जाने वाला समारोह है.. ना की किसी फिल्म की शूटिंग !
दूल्हा दुल्हन द्वारा कैमरामैन के कहने पर उल्टे सीधे पोज नहीं बनाये जायेंगे क्यों कि बधु किसी के परिवार की इज्जत उसकी पैमाइश लोगो की भीड़ के समक्ष कराने की जरुरत नही !
विवाह समारोह दिन में हो और शाम तक विदाई संपन्न हो जाए जिससे किसी भी मेहमान को रात 12 से 1 बजे खाना खाने से होने वाली समस्या जैसे अनिद्रा, एसिडिटी आदि से परेशान ना होना पड़े और मेहमानों को अपने घर पहुंचने में कोई असुविधा ना हो !
नवविवाहित को लोगो के समक्ष.. आलिंगन करने, डांस करने व एक दूसरे को खाना खिलाने के लिए ना कहा जाए !
विवाह कार्यक्रम में भोजन व्यवस्था में किसी प्रकार का मांस मदिरा वर्जित होगा क्यों कि विवाह में देवी देवताओं का आवाह्न किया जाता है मांस मदिरा देखकर देवी देवता रूष्ट होकर  दूल्हा दुल्हन को बिना आशीर्वाद दिए चले जाते हैं !

अच्छी खबर यह है की लड़की वालों ने लड़के की सभी मांगे मानते हुए सनातन संस्कृति सभ्यता को मजबूती प्रदान करने के लिए  सहर्ष तैयार हो गए और विवाह समारोह वैदिक परंपरा से संपन्न हुआ..!

सनातन धर्म की जय हो।
#SayNoForDowry #NADA
Dowry is will It can't be demand 

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Tuesday 11 April 2023

मोदी जी को सत्ता में वापस लाना हम भारतीयों के लिए क्यों अति आवश्यक है।

जैसा कि हम सभी जानते है अंग्रेजो के काले कानून से तो हमें 1947 में आजादी मिल गई थी लेकिन अंग्रेजो और भारत के शीर्ष नेताओं के बीच "ट्रांसफर ऑफ पावर" का जो समझौता पत्र हस्तांतरित हुआ था जिस पर नेहरू जी ने भारत के शीर्ष नेता के रूप के साइन किया था उसे आज तक हिन्दुस्तानियों से छिपाकर क्यों रखा गया। उसका कारण था कि अंग्रेजों ने शर्त रखा था की 1947 से 50 सालों तक भारत सरकार पेपर को सार्वजनिक नहीं करेगा और इसमें संसोधन का अधिकार भारतीय संविधान के अनुसार भारतीय संसद, प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति, संविधान अनुच्छेदों 366, 371, 372, 395 के पास भी नहीं दिया गया।
जिसके परीणाम स्वरूप
आज भी 1947 से लगातार देश के खजाने से प्रतिवर्ष 10 अरब रुपये पेंशन के रूप में ब्रिटेन की महारानी के कोष में उनके जीवन काल तक जा रहा था जो अभी कानूनी प्रक्रिया की वजह से रुका है और यदि मोदी जी वापस लौटते है तो निश्चाय ही इस व्यव्स्था को संविधान संशोधन कर हमेशा के लिए रोक दिया जाएगा।
समझौते के तहद भारत प्रति वर्ष 30 हजार टन गौ-माँस भी ब्रिटेन को देने के लिए बाध्य है।
भारत अपना राजदूत (एम्बबेसड) अमेरिका, जापान, चीन, रूस, जर्मनी जैसे देशों में तो नियुक्त करता है… ..... लेकिन श्रीलंका, पाकिस्तान, कनाडा, आस्ट्रेलिया, इंडोनेेशिया, सिंगापुर आदि से देशों में राजदूत नही यहां केवल उच्चायुक्त (हााा ही नियुक्त कर सकता है।

आखिर ऐसा क्यों.? ऐसा इस लिए, क्यों कि
भारत समेत 54 देशों को कॉमनवेल्थ कंट्री के नाम से जाना जाता है, इंडिपेंडेंट नेशन के नाम से नहीं ? क्यों कि
ब्रिटिश नैशनैलिटीअधिनियम 1948 के अन्तर्गत कॉमनवेल्थ का अर्थ होता है "सयुंक्त सम्पत्ति" जिसके तहत हर भारतीय,आस्ट्रेलियाई, कनेडियन,चाहे हिन्दू, मुसलमान ईसाई, बौद्ध, सिक्ख आज भी कानूनन ब्रिटेन की क्वीन एलिजाबेथ के ग़ुलाम हैं और उनके मरने के बाद अब उनकी जगह किंग चार्ल्स 3 के गुलाम हैं।

सन् 1997 में "ट्रांसफर ऑफ पावर" सहमति पत्र ( जो एक गोपनीय समझौता ) के 50 साल पूरे होने से पहले ही इसको सार्वजनिक होने से रोकने हेतु सोनिया गांधी जी ने तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्द्र कुमार गुजराल द्वारा इसकी अवधि 2024 तक बड़ा दी थी जिसे 2024 में पुन: सार्वजनिक होने के डर से भारत विरोधी शक्तियां मोदी जी का विरोध कर रही हैं ताकि 2024 में भी यह सार्वजनिक न हो पाये और देश के खजाने से 10 अरब रुपये पेंशन प्रतिवर्ष ब्रिटेन जाता रहें।
इसके अलावा और भी बहुत रहस्य गोपनीय है जो पूर्वार्ति सरकारों ने छुपा रखा है जिसका पता चलना देश हित में बहुत आवश्यक है इसलिए मोदी जी का २०२४ में प्रधाममंत्री बनना अतिआवश्यक है।
स्वतन्त्र भारत का इतिहास गवाह है कि जब भी भारत में मजबूत नेताओं ने सत्ता संभाली जैसे लाल बहादुर शास्त्री जी तो उनकी हत्या करवाई गई यह सभी को पता है कि उन्हे कैसे ताशकंद में खाने में जहर दिया गया.. ,सुभाष चंद्र बोस की मौत आदि रहस्य बनकर रह गई........
इसी तरह हमारी स्वतंत्रता भी एक रहस्य बनी है
इस लिए राष्ट्रहित में सभी देश भक्तों का एकजुट होना बहुत आवश्यक है।
इसलिए सभी सनातनी भारतवासियों से अपील है कि अपना निज स्वार्थ, ऊंच नीच, जातिवाद, क्षेत्रवाद, प्रांतवाद के भेदभाव मिटाकर, देश धर्म और आनेवाली पीढ़ी की रक्षा, सुख शांति समृद्धि के लिए 2024 मे मोदी जी को भारी जनादेश देकर प्रधानमंत्री बनाने के लिए अपना १००% योगदान करे..,यह आज के समय की मांग समझिए और दूसरा कोई विकल्प ही नही है।
वरना देश के गद्दार, स्वार्थी, भ्रष्टाचारी नेताओ और आतंकवादी विचाराधारा के लोग, टुकड़े टुकड़े गैंग के समर्थक भारत को बर्बाद कर देंगे। देश जो आज मोदी जी के आठ साल के प्रयास से विश्व की तीसरी अर्थव्यवस्था बनने की कगार पर खड़ा है उसे फिर दसवीं पायदान पर पहुंच देंगे।
इसीलिए हमें सतर्क और सावधान भी रहने की भी जरुरत है नही तो स्वार्थी  विपक्षी दल और कुकुर मुत्ते की तरह फैले सोशल मीडिया न्यूज चैनल चंद रुपयों की लालच में जी जान लगाकर जनता को गुमराह करने की मुहिम में लगे है और मोदी जी को बदनाम करने की पूरी कोशिश कर रहे है जिससे मोदी जी दुबारा सत्ता में ना लौटे l...…

हर भारतीय को अपनी आने वाली पीढ़ी को सुरक्षित और शांतिपूर्ण जीवन देने के उद्देश्य से मोदी जी को प्रचंड बहुमत से पुनः प्रधानमन्त्री बनाने के लिए हम भारतीयों को.मोदी लाओ देश सुरक्षित बनाए रखो का नारा जन जन तक पहुंचना है।

हर हर मोदी घर घर मोदी।
एक बार फिर से मोदी।।
#OnceMoreNAMO
#VoteForNAMO

जय हिन्द जय भारत।। जय हो सनातन संस्कृति की।।


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