Sunday 12 January 2014

बिकाऊ हुई नौकरिया उ प्र लोक सेवा आयोग बना भ्रस्टाचार का केंद्र !

आज के इस प्रतिस्पर्धा के दौर में, जँहा विद्यार्थी कई  सालो से घर परिवार त्यागकर सदूर बैठ, अच्छे जीवनशैली के सपने  सजोए घंटो पढ़ाई में लीन है , जिनके साथ माँ बाप खुद दुख झेलकर व त्यागकर  उनके आवस्यकताओ की पूर्तिकर रहे , ये बाट लगाये बैठे है कि बेटा अधिकारी बन जाएगा तो उसका जीवन सफल हो जाएगा , पर  उनको  ये नहीं पता कि अब उ प्र  लोक सेवा आयोग भ्रस्टाचार  केंद्र बन गया है जिस पर समाज के हर व्यक्ति का विश्वास था कि ये एक संवैधानिक संस्था है यंहा पर नेता व अधिकारियों कि नहीं चलती यंहा तो वही चुना जाता है जो प्रत्येक मापदंडो पर खरा उतरता है परन्तु अब ये लोकोक्ति हो चुका है।  आयोग के  अध्यक्ष और सचिव आपसी मिलीभगत से पैसे लेकर एक वर्ग विशेष और क्षेत्र के छात्रो को वरीयता देकर परीक्षा परिणामो में धांधली कर नियुक्ति दे रहे है और प्रदेश कि समाजवादी सरकार सहयोगात्मक भूमिका निभा रही है। एक तरफ जंहा सालो से मेहनत कर रहे छात्रो का भविष्य दांव पर लगा है वंही दूसरी ओर  सरकार और विपक्ष शान्त बैठ तमाशा देख रही है ऐसे में छात्रो का आग बबूला होना स्वाभाविक है जिसके परिणाम स्वरुप पिछले ६ महीनो में दो बार विरोध प्रदर्शन कर छात्रो ने सरकार व आयोग के मनमाने कार्यप्रणाली पर अपनी आवाज समाज के सामने उठायी है परन्तु सरकार मूक बनी है।  हांलहि में २ जनवरी को हुए विरोध प्रदर्शन में सरकार के मुखिया मूक बने थे और अलाहबाद में आयोग के सामने पुलिश प्रसाशन ने बर्बरता पूर्ण लाठीचार्ज कर ३२ छात्रो को अपराधिक धाराओं के तहत जेल भेज दिए।

अलाहाबाद विश्वविद्यालय व् छात्र राजनीत के इतिहास में ये कालादिन था जब सारकार ने छात्रो के विरोध प्रदर्शन पे कोई संज्ञान नहीं लिया।  इसे हम उ प्र सरकार का अन्धापन ही कह सकते है।  जंहा एक ओर मुज़फ्फरनगर  में दन्गा पीड़ित, कड़ाके  की  ठंढ में कैम्पों में पीड़ित पड़े है , इल्लाहाबाद में छात्र आयोग में व्याप्त भ्रस्टाचार के विरोध में प्रदर्शन कर रहे है वँही  दूसरी ओर सरकार जनता के गाढ़ी कमाई से भरे टैक्स से मंत्रियों और विधायको को विदेश भ्रमड पे भेज दी और सैफई महोत्सव में प्रदेश के सबसे युवा  मुख्यमंत्री अपने मुखिया मुलायम के साथ नाच देखने में मशगूल थे।  कहने को तो ये समाजवादी है परन्तु इनके शौख और विलाशिता किसी मुगलकालीन राजा से कम नहीं  वैसे भी प्रदेश में मुलायम के मुगलिया शौख किसी से छुपे नहीं है।  प्रदेश सरकार केवल वोटबैंक कि राजनीत करना जानती है इनको विकाश का मायने पता ही नहीं दुर्भाग्य तो प्रदेश कि जनता का है कि एक को हटाने के लिए उसने दूसरे भ्रस्ट समूह को वोट स्वार्थवश कर इनको पूर्ण बहुमत में लाई जिसके लिए आज अपने हित कि लड़ाई लड़ रहे छात्र भी जिमेदार है जिन्होने मायावती सरकार को हटाने के लिए बढ़चढ़ के इनके चुनाव में हिस्सा लिए थे और आज फिर उन्ही के भ्रस्टाचार से त्रस्त होकर सड़क पर  उतरचुके है।  ऐसे में सरकार और छात्रो दोनों को सिख लेने कि जरुरत है।  समाजवादी सरकार को ये समझाना होगा कि यदि ये नवजवान सत्ता में ला सकते है तो सत्ता से बहार भी कर सकते है और छात्रो को स्वार्थहित में नहीं बल्कि तर्कशक्ति के आधार पर देशहित में वोट करना चाहिए क्योंकि यदि पड़े लिखे नवजवान ये नहीं समझ पाएंगे, तो ये मजदूरो से उम्मीद नहीं कि जा सकती है।  यदि हम नवजवानो के आँख कि पट्टी अब भी नहीं खुली तो ये आयोग कि नौकरी के लायक ही नहीं है क्योंकि जब ये सही व्यक्ति को चुनकर सदन में नहीं भेज सकते तो ये सही प्रशासक भी नहीं बन सकते।

हमे तो आश्चर्य हो रहा है कि समाजवादी सरकार सत्ता में आते ही सारे नियमो को ताकपर रखकर आयोग के अध्यक्ष व् सचिव कि नियुक्ति केवल वोट बैंक कि राजनीत के लिए कराती है जिनपर उनके गृह जनपद में कई आपराधिक मामले दर्ज है और हमारा युवा सो रहा था। हमारे समाज का  दुर्भाग्य है कि लोग तबतक नहीं बोलते जबतक कि गाज अपने पे नहीं गिरती और यही हमारे प्रतियोगी छात्रो ने किया, जब अपने पे आयी तो सड़क पे आ गए।  यंहा पर एक कहावत  याद आती है     " जब जागो तभी सवेरा " .

मित्रो ये लड़ाई केवल अपना हक़ पाने भर से नहीं ख़त्म होगी, ये लड़ाई तब पूरी होगी, जब आम चुनाव में समाजवादी चोंगा पहने इस सरकार को हमारे यही युवा इनके विपक्ष वोटकर सबक सिखायेंगे और वर्ग विशेष को मिल रहे आरक्षड की निति को समाप्तकर आर्थिक रूप से कमजोर छात्रो को इसका लाभ सुनिष्चित कराने के शर्त पर ही वोट सुनिश्चित करेंगे।

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