Saturday 22 March 2014

युवा देंगे अपराधियों को करारा जवाब, दिखाएंगे इस बार सदन से बहार का रास्ता !

वर्षो से अपराध मुक्त व स्वक्छ राजनीत का  राग अलाप रही राजनीतिक पार्टी सबकुछ भूलकर, मई  २०१४ में गठित होने वाली १६ वीं लोकसभा के चुनावी समर में, अपराधिक पृष्ठभूमि व भ्रस्ट व्यक्तित्व के लोगो को सम्मानित कर चुनाओ मैदान में भेज रही है जो देश के युवाओ के साथ अन्याय है। जिस देश की कुल मतदाता आबादी का ४७ % मतदाता युवा हो वँहा संसद और विधानसभा में लगभग ४० % प्रतिनिधि अपहरण  हत्या , बलात्कार और चोरी - छिनैती जैसे अपराधो के आरोपी हो ये हमारे देश के युवाओ की अकरणमयता, आलस्य, स्वार्थ व  देश के बजाय व्यक्ति को महत्ता देने का परिणाम है।  निसंदेह व्यक्ति को महत्ता देनी चाहिए क्यों कि हमारा प्रतिनिधि ही  हमारे क्षेत्र का विकाश सुनिश्चित कर पायेगा प्रधानमंत्री या मुख्यमंत्री नहीं किन्तु देश कि अंतर्राष्ट्रीय गरिमा को ध्यान रखते हुए अपराधिक छवि व सोच के व्यक्ति को सदन में पहुचने से रोकना हम युवाओ का देशहित में कर्त्तव्य है।

वर्तमान लोकसभा में कुल १६२  सांसदो पर आपराधिक मामले दर्ज है जिसमे ७६ सांसदो पर गम्भीर आरोप है। बावजूद इसके बीजेपी ने अबतक कुल १०७ ऐसे उम्मीदवार को टिकट दिया है जिनपर आपराधिक मामले चलरहे है जिनमे २६ पर गम्भीर आरोप है। कांग्रेस इनसे एक कदम आगे ३३ गम्भीर आरोप वाले उम्मीदवार मैदान में उतारे है अमूमन यहीहाल क्षेत्रीय पार्टियो का है इनके भी ६०% उम्मीदवार आपराधिक पृष्ठभूमि से है। सत्ता कि भूख और जोड़ तोड़ के इस चुनावी समर में बीजेपी ने हाल में कई आपराधिक पृष्ठभूमि के वर्तमान और पूर्व सांसदो को पार्टी में शामिल किया इसी कड़ी में झारखण्ड के पलामू से सांसद कामेश्वर बइठा है जिनके ऊपर ४६ गम्भीर अपराधो के मुकदमे चल रहे है।  केवल इतना ही नहीं बीजेपी सत्ता के लालच में तो भ्रष्टाचार के मूल की संज्ञा दे चुकी कांग्रेस पार्टी के ऐसे नेताओ को भी शामिल कर रही है, जिनके भ्रष्टाचार का राग पिछले २ वर्षो से अलाप रही थी। जिसमे जगदम्बिका पाल और सतपाल  महराज मुख्य है जो वर्षो से उसी जड़ को सींच रहे थे। सोचनीय प्रश्न ये है कि कोई व्यक्ति जो कांग्रेस व अन्य पार्टी में भ्रष्ट रहा हो बीजेपी में आने पर स्वछ सोच का कैसे हो जाएगा। ऐसे में हम युवाओ को सोचना होगा कि हमे क्षेत्र के विकास के नाम पर वोट करना है या एक व्यक्ति जो प्रधानमंत्री के नाम पर वोट मांग रहा हो।

चुनाव आयोग के आकड़े के अनुसार इस बार कुल ३९ करोड़ युवा मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे जिसमे ४९ % युवा महिला मतदाता है और १८  - २३  आयु के कुल  ७.५ करोड़ मतदाता है।  १८ -१९  आयु के २.३ करोड़ युवा  पहली बार  मतदान करेंगे जिनकी संख्या प्रत्येक लोकसभा क्षेत्र में लगभग ९२००० है जो २२६ सीटों पर जीत के अंतर से अधिक है। सोशल मीडिया के इस दौर में ९.१ करोड़ शहरी युवा मतदाता आयु १८ - २५  सीधे देश के २८७ संसदीय सीटो पर जीत को प्रभावित करेंगे जिसमे १६० शहरी सीट सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। चुनाओ आयोग के इस आकड़े से लगता है इस बार युवा ही देश के ५४३ लोकसभा सांसदो का भविष्य तय करेंगे।

पिछले दो सालो में हम युवाओ ने अपनी ताकत का अहसास सरकार, प्रशासन व अपराधियों को कराया है। अन्ना के नेतृत्व में सड़क पर उतरकर भ्रष्टाचार के खिलाफ लोकपाल की लड़ाई ( प्रशासन के खिलाफ ), निर्भया के समर्थन में महिलाओ के सुरक्षा की लड़ाई ( अपराधियों के खिलाफ  ) और केजरीवाल के साथ खड़े होकर दिल्ली की सरकार परिवर्तन की लड़ाई लड़ी। अब बारी है देश की संसद से अपराधियो को बाहर रखने की लड़ाई। तो सोचिये मत आगे आइये लोगो को जागरूक करिये, देश के साथ- साथ क्षेत्र का विकास भी प्राथमिक है इसलिए वोट उसे करिये, जो हमारे बीच का हो, जो हमारी सुनता हो, जिससे हम मिल सकते हो, जो विकास कि बात करता हो अपराध की नहीं। दोस्तों अबकी बार चुक हुयी तो पाँच साल इंतज़ार करना पड़ेगा।  इस बार अपराधियो को सदन तक पहुचने मत दो।

दोस्तों यदि आप सब देश की संस्कृति, सम्प्रभुता व गरिमा को सुरक्षित करना चाहते है तो इस बार अपराधी व भ्रस्ट मनोवृत्ति के उम्मीदवार को वोट न करे। वोट करे क्षेत्र के विकास, अपराधमुक्त वातावरण, महिलाओ की सुरक्षा, मुफ्त शिक्षा, बिजली  व रोजगार के नाम पर।

उम्मीदवार वही चुने जो क्षेत्र का विकास सुनिश्चित करे , हमारी आवाज को सदन में मजबूती के साथ उठाये, अपराधिक पृष्ठभूमि ना हो, शिक्षित व अनुभवी हो।

उम्मीद के साथ इस बार हमारा संसद अपराधियो से मुक्त होगा।

जय हिन्द ! जय हिन्द ! जय जय जय जय हिन्द  !

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