Saturday 14 January 2023

क्या भारत जोड़ो यात्रा के सहारे सत्ता वापसी का राहुल गांधी का जीवट प्रयास सफल होगा

भारत जोड़ो यात्रा अब लगभग अपने अन्तिम पड़ाव पर पहुंच चुकी है वर्तमान में देश के पंजाब राज्य से गुजर रही है जहां सत्ता में पुनः लौटने के उद्देश्य से कांग्रेस ने 2019 में एक बड़ा किसान आंदोलन किसान बिल वापसी को लेकर किया था लेकिन उड़ता पंजाब के प्रभाव में वह निष्प्रभावी रहा और जनता ने कांग्रेस को सत्ता से बेदखल कर दिया लेकिन दुर्भाग्यवश मदहोश व्यक्तित्व को सत्ता मिल गईं जो पंजाब को और तीव्र गति से उड़ा रहा है फिलहाल यात्रा अब अपने अंतिम पड़ाव जम्मू काश्मीर में पहुंचने वाली है जहां अनुच्छेद 370 का प्रभाव खत्म हो चुका है और अब यह क्षेत्र दो हिस्सों जम्मू कश्मीर और लद्दाख में बंट चुका है तो निश्चय ही राहुल जी कुछ बड़ा उद्बोधन जम्मू कश्मीर की धरती से लाल चौक पर झण्डा फहराने के समय करने वाले होंगे जिसे सुनने को देश बेसब्री से इंतज़ार कर रहा है.........

निःसंदेह राहुल जी की यह यात्रा सुषुप्त अवस्था में पड़ी ए ओ हुम द्वारा स्थापित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस जिसे इंदिरा जी के नेतृत्व में एक नया नाम कांग्रेस (आई ) मिला, के कार्यकताओं को नई ऊर्जा और उम्मीद की किरण देगा लेकिन राहुल जी और उनके मेंटोर जयराम रमेश, रघुराम राजन व शुभचिंतकों का यह प्रयास 2023 में होने वाले 10 राज्यों मध्य प्रदेश राजस्थान छत्तीसगढ़ कर्नाटक तेलांगना मेघालय मिजोरम त्रिपुरा सिक्किम और जम्मू काश्मीर लद्दाख के चुनाव और 2024 के आम चुनाव में कितना लाभ दिला पाएगी ये तो आने वाला समय ही बताएगा .............. 

जो भी हो 2012 से लगातार लगभग 40 से अधिक चुनावी शिकस्त खाने के बाद भी राहुल जी भारत जोड़ो यात्रा का नेतृत्व कर रहे है यह उनके मजबूत इरादे, इच्छाशक्ति, संघर्षशीलता और जीवटता का एक अनूठा उदाहरण है जो लगभग हासिये पर पहुंच चुकी कांग्रेस पार्टी को केंद्रीय सत्ता में पुनः लौटाने में महत्वपूर्ण योगदान साबित हो सकती है लेकिन राहुल जी की यह यात्रा कितनी सकारात्मक परिणाम देंगी यह तो आगामी महीनों में होने वाले विधानसभा चुनाव के परिणाम से ही पता चल पाएगा और तभी यह तय हों पाएगा की कांग्रेस 2024 में केंद्रीय सदन में कितनी मजबूती से अपनी उपस्थिति दर्ज करा पायेगी ........ 
फिलहाल कांग्रेस का केंद्रीय सत्ता में लौटाने की उम्मीद तो कम ही लग रही है क्योंकि जनता जनार्दन उतनी उत्सुकता और भारी मात्रा में भारत जोड़ो यात्रा से नही जुड़ पाई जितना आवश्यकता थी ......

वैसे मुझे लगता है यात्रा का नाम "भारत जोड़ों यात्रा" रखने की बजाए यदि केवल "भारत यात्रा" रखा होता तो ज्यादा अच्छा रहता क्योंकि "जोड़ो" शब्द ने जनता में नकारात्मक राजनीति का संदेश दिया और भारत के कई राज्य उत्तराखंड उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड पश्चिम बंगाल उड़ीसा नॉर्थ ईस्ट और गुजरात तमिलनाडु गोवा जैसे राज्यों में यात्रा का एक भी पड़ाव नहीं रहा जो राहुल जी के यात्रा रूट मैप से बाहर रह गए इस प्रकार भारत का लगभग आधा राज्य तो यात्रा से अछूता रह गया तो भारत जोड़ो का सकारात्मक निहतार्थ ही ख़त्म हो गया ....... और एक बड़ा प्रश्न यह कि भारत जोड़ो नाम का तात्पर्य देश जोड़ना था या जाति धर्म व विभिन्न सम्प्रदाय को, जो भी रहा हो जब देश के सभी राज्यों में राहुल जी अपना पड़ाव नहीं लगा सके तो भारत जोड़ो का कार्य कहा पूरा हो पाया और यदि कांग्रेस को लगता है की पूरा हुआ है तो दूसरा बड़ा प्रश्न यह कि सरदार पटेल जी ने 1947 में क्या अधूरा छोड़ा था जो कि अब पूरा करने की जरूरत पड़ी राहुल जी को जिसे नेहरु इंदिरा और राजीव जी नही कर पाए। यदि कुछ छूट भी गया था तो मनमोहन जी के नेतृत्व में यूपीए सरकार के दौरान 2004 से 2014 में क्यों पूरा नहीं कर पाए जबकि मनमोहन जी तो सोनिया और राहुल जी के नेतृत्व में ही कार्य कर रहे थे। फिर भी यदि भारत जोड़ने का कार्य करना ही था तो यात्रा का रूट मैप पूर्व में पश्चिम बंगाल से शुरू करके पश्चिम में गुजरात होते हुए महाराष्ट्र गोवा कर्नाटका केरल तमिलनाडु तेलंगाना आंध्र छत्तीसगढ़ मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश राजस्थान हरियाणा पंजाब हिमाचल होते हुए अंतिम पड़ाव जम्मू रखना था जिसमे भारत के लगभग 90% हिस्से की यात्रा सुनिश्चित हो जाती और जनता में एक सकारात्मक संदेश जाता कि देश का एक जुझारू नेता देश की अधिकतम आबादी तक अपनी पहुंच बनाने का संभव प्रयास कर रहा है  जिससे अधिक से अधिक जनता जुड़ पाती .... ...... 
खैर यात्रा रूट मैप से उत्तर प्रदेश बिहार झारखंड पश्चिम बंगाल उड़ीसा जैसे बड़े आबादी वाले भूभाग को बाहर रखकर देश की 65% आबादी से सम्पर्क न कर पाना कहा से भारत जोड़ो अभियान पूरा कर पा रहा है जहां से लोकसभा में लगभग 200 से अधिक सांसद सदस्य सदन का प्रतिनिधि करते है ....... .... 
वैसे राहुल जी ने यात्रा के दौरान महत्मा गांधी जी के रियल उत्तराधिकारी की भुमिका निश्चित तौर पर अदा की है राहुल जी के हर पड़ाव पर उनके मुख्य सहयात्रियों में अक्सर महिला सहयात्री ही ज्यादा रही जैसे गांधी जी अपने यात्रा में हमेशा दो चार महिला सह यात्रियों के कंधो पर हांथ रखकर चलते थे जो राहुल जी के विरोधियों के लिए एक अच्छा मसाला बन गया ....... इसके अलावा यात्रा के दौरान ठंड के मौसम में राहुल जी का एक पतले t-shirt में यात्रा करना जनता के लिए एक अच्छा मजाक बन गया है ठंड न लगने के कारण पर भी बहुत सारी चर्चाएं जनता में हो रही है .... .

जो भी हो यात्रा का निर्णय तो अच्छा था लेकिन यात्रा का नामकरण, यात्रा की शुरुवात स्थान, रूट मैप, महिला सहयात्रियों की संख्या, एक बड़े भूभाग को अधूरा छोड़ना, यात्रा का ड्रेस कोड, सब कुछ नकारत्मक रहा है जिससे मुझे लगता है यात्रा की सफ़लता अधूरी रही है ..............
फिर भी ईश्वर से प्रार्थना है की वो राहुल जी संघर्ष जारी रखने आत्मबल प्रदान करते रहे और राहुल जी का संघर्ष सफल हो। 


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