Monday 4 July 2016

युवाओं को आगे आना होगा देश को जातिवादी राजवाडों व क्षत्रपो से आजाद कराने के लिए !

हमारे देश का सबसे बड़ा दुर्भाग्य जातिवादी व्यवस्था है इस जातिवादी व्यवस्था की वजह से हिंदुस्तान हमेशा कमजोर पड़ा है। जिसका आभास प्राचीन समय से ही समय समय पर भारत यात्रा पर आये विदेशी यात्रियों व् छात्रों ने कर लिया था। जिसका लाभ पहले हुणो ने लिया आक्रमण कर भारत को लुटा फिर मुगलो ने और बाद में ब्रिटिशो ने। इस दौरान इन्होने जो भारतीय संस्कृत व् सभ्यता की ताकत थी उसे समाप्त करने की पूरी कोशिश की और जो कमजोरी थी जैस जातिवाद उसे आरक्षण जैसे व्यवस्था से जोड़कर और मजबूती दी, अब जो बाकी है उसे हमारे देश के ही कुछ चतुर नेतागण बड़ी ही चालाकी से अपने अपने वर्ग विशेष के लोगो को बरगला कर लूट रहे है।

यदि हम पुरे देश के क्षेत्रीय राजनीत का सही से अवलोकन करे तो पाएंगे की पुनः देश में लगभग उतने ही जातिवादी राजवाड़े पैदा हो गए है जितने सरदार पटेल ने आजादी के बाद हिंदुस्तान में शामिल करवाए थे। यदि हम देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का अवलोकन करे तो यंहा अजीत सिंह चौधरी रजवाड़ा , मुलायम सिंह यादव रजवाड़ा , मायावती दलित राजकुमारी, अमर सिंह राजा भैया क्षत्रिय राजवाड़ा , मुख़्तार अंसारी मुग़ल राजवाडा कई अन्य और भी है। अब बिहार को देखिए लालू यादव रजवाड़ा , रामविलास पासवान रजवाड़ा , नितीश कुमार कुर्मी राजवाड़ा , जीतनराम मंझिदलित राजवाड़ा, सहाबुदीन अंसारी राजवाड़ा इत्यादि। मध्य प्रदेश में ब्रिटिश समय से चला आ रहा सिंधिया राजवाड़ा, दिग्विजय सिंह राजपूत राजवाड़ा , चौहान राजवाड़ा , इसी तरह से पुरे देश में अलग अलग जातिवादी क्षत्रपो ने अपना अपना राजवाड़ा स्थापित कर लिया है। एक प्रकार से देश पुनः आजादी से पूर्व वाली राजशाही व्यवस्था की और बढ़ चुका है और इन जातिवादी राजाओ को अपने विकास के आलावा केवल उतना दिखता है जितने से केवल वे अपने जाती विशेष के विश्वास को जीतते रहे। जरा सोचिये जिस राजशाही व्यवस्था से निजात पाने के लिए हम सब लोगो ने १५० सालो तक आजादी की लड़ाई लड़ी और लाखो नवजवानों व महिलाओं ने अपनी कुर्बानी दी। पुनः आज ६८ साल बाद फिर उसी जाल में ये जातिवादी मसीहा कहे जाने वाले नेताओं, जो अब रजवाड़ो में बदल चुके है, के चक्कर में बुरी तरह से उलझ गए है जो केवल अपने कुनबे के विकाश में लगे है क्षेत्र, राज्य व देश का विकाश केवल एक दिखावा बन कर रह गया है।

आजादी के बाद जिस लोकतांत्रिक व्यवस्था की नींव रखी गयी थी उन्ही खामियों का फायदा उठाकर कुछ नेता केवल अपने स्वार्थ मे देश को जाती के आधार पर बांट दिया है। मजे की बात तो ये है की तब हमारी साक्षरता बहुत कम थी और बुजुर्गो की जनसंख्या ज्यादा क्यों की सही स्वस्थ सुविधा व पौष्टिक आहार की कम उपलब्धता की वजह से और जानकारी के आभाव मे ज्यादातर बच्चे मर जाते थे परन्तु आज जब कि देश मे युवाओं की संख्या विश्व मे सबसे अधिक है और वैज्ञानिक व शैक्षिक रूप से अच्छा विकाश हुआ है फिर भी देश मे जातिवादी रजवाड़ो व् क्षत्रपों का विकाश बहुत तेज हुआ है और कुछ गिने चुने नेताओं के बरगलाये मे देश के पढ़े लिखें युवा उनका साथ दे रहे है ये बहुत ही दुर्भाग्य पूर्ण है। आज चीन व अन्य यूरोपीय देश जो भारत के बाद आजाद हुए ज्यादा विकाश किये और भारत उनसे बहुत पीछे है क्योंकि मध्यकालीन समय से ही भारत को जातिवादी व्यवस्था बुरी तरह से जकड़े हुए है जो अब जादिवादी रजवाड़ो का रूप ले लिए है और ये केवल अपने लिए राजशाही हवेलिया, विदेशो मे हजारो एकड़ जमीन, पांच सितारा होटल और उद्दोग लगा रहे है उन्हें केवल अपने विकाश का ध्यान है जनता का विकाश तो केवल पेपरों पर है इन जातिवादी रजवाड़ो के साथ केवल उनका विकाश हो रहा है जो इनके चापलूस है या इनके लिए कारक, जैसे ब्रिटिश समय मे चापलूस धोखेबाज गद्दार देश के जमींदारों ने अंग्रेज अफसरों की चापलूसी कर कमाई उसी तरह आजके अधिकारी भी इन जातिवादी रजवाड़ो की गुलामी कर रहे है और अपने को मजबूत बना रहे है, आम जनता तो आजादी के पहले भी गुलाम थी आज भी गुलाम है अंतर तो बस इतना है की पहले विदेशियों के गुलाम थे और आज अपने जातिवादी क्षत्रपों के गुलाम।

आज देश के युवाओं को इस बात को बहुत गहराई से समझने की आवश्य्कता है यदि आप वास्तव मे भारत को एक विकसित देश व विश्व मे सबसे ताकतवर देश बनने देखना चाहते हो तो जातिवादी राजनीत से बहार निकलना होगा और राष्ट्र शक्ति व् विकाश के नाम पर एकजुट होना होगा। देश को इन जातिवादी रजवाड़ो के चंगुल से मुक्त कराना है तो अपना नेता जाती के आधार पर न चुनकर उसे चुनना होगा जो विकाश की बात करता हो जो देश की बात करता हो ना कि जाति कि या स्वार्थ कि। अपना नेता उसे चुने जो क्षेत्र के विकाश के लिए दृंढ संकल्पित हो पढ़ा लिखा राष्ट्रवादी हो न कि जातिवादी। जिसके लिए पार्टी से ऊपर क्षेत्र का विकाश व देशहित हो।

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2 comments:

  1. A very well written article. What ever Good or Bad politics we are living with is all due to WE the voters. We cast our votes on the basis of our individual cast & religion and our personal direct link with the candidate and political party. The day our voting behaviour becomes selfless and prefers Merit of candidate rather than his cast or personal links then the nature of our politics will start shifting towards goodness and positivity. We should also learn the habit of ignoring Mafias and Corrupt politicians instead of making them Role Models.
    Thanks
    Chandra Shekhar

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